माचिस की तिली
पेड़ की लकड़ी से बनती,कई माचिस की तिली ,
सर पे जब लगता है रोगन,मुंह में बसती आग है
जरा सा ही रगड़ने पर ,जलती है तिलमिला कर,
और कितने दरख्तों को ,पल में करती खाक है
घोटू
1414-दया धर्म का मूल है
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* विजय जोशी *
( पूर्व ग्रुप महाप्रबंधक, भेल, भोपाल (म. प्र.)
*जेहि के जेहि पर सत्य सनेहू*
*सो तेहि मिलहि न कछु संदेहु*
धर्म कोई शिष्टाचार रूपी पाखं...
42 मिनट पहले
बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंअधिक संघर्ष से चन्दन भी जल जाता है |
जवाब देंहटाएंअवसर आने पर 'सुप्त ज्वालामुखी' भी उबल जाता है ||