जवानी पर चढ़ गयी है सर्दियां
रात की ठिठुरन से बचने, भूल सब शिकवे ,गिले
शाम ,डर कर,उलटे पैरों,दोपहर से जा मिले
ओढ़ ले कोहरे की चादर ,धूप ,तज अपनी अकड़
छटपटाये चमकने को ,सूर्य पीला जाये पड़
हवायें जब कंपकंपाये ,निकलना मुश्किल करे
चूमने को चाय प्याला ,बारहां जब दिल करे
जेब से ना हाथ निकले ,दिखाये कन्जूसियाँ
पास में बैठे रहे बस ,लगे मन भाने पिया
लिपट तन से जब रजाई ,दिखाये हमदर्दियाँ
तो समझ लो ,जवानी पर,चढ़ गयी है सर्दियाँ
घोटू
ऊर्जा
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ऊर्जा ऊर्जा बहुत है, कर्म कम ऊर्जा अहंकार बन जाएगी ऊर्जा कम है, कर्म
अधिक ऊर्जा तनाव बन जाएगी ऊर्जा अति है कर्म भी अति ऊर्जा संतुष्टि बन
जाएगी ऊर्जा अनंत ...
20 मिनट पहले