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मंगलवार, 30 जून 2020
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rm
एक दिन अचानक ,
मेरे मन में कुछ ऐसा ख्याल आया
मैंने अपने कुछ बुजुर्ग दोस्तों को ,
अपने घर चाय पर बुलाया
नाश्ता कराया और थोड़ी देर गप्पें मारी
बातें की ,दुनिया भर की ,सारी
याद दिलाये जवानी के जलवे ,
और बुढ़ापे की पीड़ा
फिर उनकी दुखती रग टटोलते हुए पूछा ,
क्या अभी भी कभी कभी ,
काटता है मोहब्बत का कीड़ा
जरा बतलाओ अपने मन की बात
अगर कोई जवान सुंदरी ,
आपके आगे रखे प्रेम प्रस्ताव ,
तो क्या होंगे आपके हालात
मेरा यह प्रश्न सुन मेरे कुछ मित्र तो ,
एक दम भौंचक्के से रह गए
कुछ घबराये ,कुछ शरमाये ,
कुछ भावना में बह गए
कुछ की हालत हो गयी ठगी की ठगी
और किसी की तो लार ही टपकने लगी
बोले क्यों फालतू में ललचाते हो
यूं ही मीठे मीठे सपने दिखाते हो
लड़की अगर सुन्दर है और जवान है यार
तो उसके पीछे तो नौजवानो की लगेगी कतार
वो क्यों हम जैसे किसी बूढ़े से करेगी प्यार
जो है साठ के पार
हम बोले आपकी शंका वाजिब है ,
आप सही फरमाते है
पर कुछ औरतों को ,
नए सिख्खाड़ों की बनिस्बत ,
अनुभवी लोग ही सुहाते है
पका हुआ पान
न खांसी ,न जुकाम
अब हेमामालिनी को ही देखलो ,
उसके लिए क्या लड़को की थी कमी
पर वो शादीशुदा धर्मेंद्र की दुल्हन बनी
श्रीदेवी जैसी सुंदरी और हूर
उसको भी भाये विवाहित बोंनी कपूर
फ़िल्मी दुनिया में तो है ये ट्रेंड
सबको चाहिए अनुभवी फ्रेंड
ये सब तो दुनिया में होता ही रहता है
अगर आपके साथ हो ,तो आप क्या करेंगे ,
आपका मन क्या कहता है
अच्छा आप ही बतलाओ गुप्ता जी ,
आप तो गुप्त ज्ञान में माहिर है
आपकी आशिकमिजाजी जगजाहिर है
बताएं ,ऐसे में आप क्या बोलेंगे
गुप्ताजी हिचकिचाये फिर,
गहरी सांस लेकर बोले ,बोलेंगे क्या ,
हम तो बहती गंगा में हाथ धोलेंगे
उनकी बात सुन ,बाकी मित्रों में ,
कुछ का आत्मविश्वास जगा
उन्होंने हिचकिचाहट को दिया भगा
एक ने टोका
इस उम्र में किस्मतवालों को ही,
मिलता है ऐसा मौका
अगर लड़की जेन्युइन है और नहीं करेगी धोखा
तो फिर हम भी उसे क्यों तरसायेंगे
बादल बन के बरस जाएंगे
दूसरे ने कहा सच है यार
ऐसे मौके कहाँ मिलते है बार बार
यूंही मन इधर उधर ताकता दौड़ता है
और जब चिड़िया खुद ही फंस रही है ,
तो ये सुनहरा मौका कौन छोड़ता है
तीसरे ने भी हाँ में हाँ मिलाई
बोले जब किस्मत ने ही है अप्सरा भिजवाई
तो हम क्यों करेंगे रुसवाई
झट से चट कर लेंगे दूध और मलाई
चौथे ने कहा यार बात तो है भली
मचा रही है मेरे दिल में खलबली
सूखती बगिया में जब खिली है कोई कली
और अपनी खुशबू फैला रही है
खुद भवरे को बुला रही है
तो हम क्या साले बेवकूफ है ,
जो यूं ही चुप बैठ जाएंगे
निश्चित ही उसके रसपान का आनंद उठायेंगे
पांचवां जो चुप था ,सहमा सहमा बोला
यार ऐसे ऑफर मिलने पर ,
सबका मन करता है डोला
पर क्या आपने सोचा है ,
आप बूढ़े है और वो जवान है
वो आपके पास आयी है
तो उसके भी कुछ अरमान है
वो दहकती हुई आग है ,
आप है बुझती हुई चिंगारी
निश्चित ही वो पड़ेगी आप पर भारी
वो जवानी वाला जोश कहाँ से लाएंगे
वो दहकती रहेगी और आप बुझ जाएंगे
एक अतृप्त औरत ,
क्या क्या गुल खिला सकती है
उर्वशी की तरह आपको ,
अर्जुन सा निकम्मा बना सकती है
इसलिए जिसको जो भी करना है ,
सोच समझ कर करना चाहिये
और मुद्दे की बात ये है कि
हमें अपनी बीबी से डरना चाहिए
किसी ने दाना डाला ,
और आपने पका लिए पुलाव ख़याली
और भूल गए बड़ी तेज ,
नाक वाली होती है घरवाली
जो आप जैसे भी हो ,
आपके साथ निभा रही है
आपकी गृहस्थी चला रही है
अगर उसे खबर लग गयी तो
घर में आजायेगा भूचाल
कल्पना करलो ,कैसा होगा हाल
ये सब तो ललचानेवाली बातें है
जिन्हे सोच कर हम मन बहलाते है
वरना इस उम्र में भूल जाओ गर्म बिरयानी
हमें तो घर की दाल रोटी ही है खानी
पांचवे की बात सुन सबके उड़ गए होश
ख़त्म हो गया सारा जोश
सभी पर गम के बादल छागये
अभी तलक जो उछल रहे थे ,
सब अपनी औकात पर आगये
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
सोमवार, 29 जून 2020
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अगर जो दोस्ती करनी ,मिलाना हाथ पड़ता है
दुश्मनी जो निभानी तो ,दिखाना हाथ पड़ता है
हाथ पर हाथ रख करके ,बैठने से न कुछ होता ,
काम करना है आवश्यक ,हिलाना हाथ पड़ता है
पकड़ कर हाथ लो फेरे ,जनम भर का बंधे बंधन
खुले हाथों करो खरचा ,खतम पैसे तो हो निर्धन
मिलाकर हाथ ,सबके साथ ,चलने में बसी खुशियां ,
तुम्हारे हाथ में ये है ,जियो तुम किस तरह जीवन
तुम्हारे हाथ की रेखा , तुम्हारे भाग्य की रेखा
जब उठते हाथ,आशीर्वाद,मिल जाता है अपने का
जोड़ते हाथ है जब हम ,नमस्ते है ,स्वागत है ,
हिला कर हाथ ,लोगों को ,बिदा करते हुए देखा
हुनर हाथों में होता है ,कलाकृतियां बना देते
जो हो हाथों में बाहुबल ,विजय श्री आपको देते
प्यार में बाहुबंधन भी ,इन्ही हाथों से बंधता है ,
सहारा हाथ ये देते और गिरतों को उठा लेते
हाथ देते है ,लेते है ,मचलते है ,फिसलते है
नहीं जब हाथ कुछ लगता ,लोग जल हाथ मलते है
किसी के हाथ में मेंहदी ,किसी के हाथ पीले है ,
खनकती हाथ में चूड़ी , अदा से जब वो चलते है
फरक मानव पशु में ये ,मनुज के हाथ होते है
बजाते तालियां ,खुशियों में हरदम साथ होते है
कमा ले करोडो ,इंसान दुनिया छोड़ जब जाता ,
नहीं कुछ साथ ले जाता ,बस खाली हाथ होते है
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
सत्तारूढ़ कोई भी दल हो
यही चाहते ,सदा विफल हो
तोड़फोड़ कर कोशिश करते ,
जैसे तैसे वो निर्बल हो
हरदम रहते इस तलाश में
कोई मुद्दा लगे हाथ में
नहीं चैन से बैठ सकें हम ,
उलझे रहते खुराफात में
जब भी थोड़ा मौका पाते
सत्ता सर सवार हो जाते
बुला प्रेस टीवी वालों को ,
हाय तोबा बहुत मचाते
मौसम का रुख देखा करते
तब ही पासे फेंका करते
कैसे भी माहौल गरम कर ,
अपनी रोटी सेंका करते
आरोपों प्रत्यारोपों में ,
हम प्रवीण है ,बड़े दक्ष है
हम विपक्ष है
हमने भी भोगी है सत्ता
किन्तु कट गया जबसे पत्ता
नहीं पूछता अब कोई भी ,
हालत खस्ता है, अलबत्ता
इसीलिये है हम चिल्लाते
टी वी ,पेपर में दिखलाते
ताकि बने रहे चर्चा में ,
लोग यूं ही ना हमें भुलादे
सत्तादल से लेते पंगा
बात बात में अड़ा अड़ंगा
खोल हमारी करतूतों को ,
वो जब हमको करते नंगा
ऐसे दिन आये है ग़म के
सूखे श्रोत सभी इनकम के
चलती जब सत्ता की खुजली ,
हम रहते है दमके दमके
कैसे फिर हथियायें सत्ता ,
अपना तो बस यही लक्ष है
हम विपक्ष है
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
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रविवार, 28 जून 2020
कोरोना से छाये है दहशत के बादल
बारिश में घिरआये बादल के दल के दल
सीमा पर जमा हुए ,फौजों के दल के दल
दुनिया पर मंडराते ,विश्वयुद्ध के बादल
बार बार भूकम्पों से धरती रही दहल
ऊपर से खेतों में आ बैठा टिड्डी दल
चंद राजनैतिक दल ,दाल रहे अपनी दल
फैलाते आरोपों का कीचड और दल दल
एक साथ इतने सब ,संकट का ये दल दल
दिल में डर.नहीं बदल सकता पर भाग्य प्रबल
मदन मोहन बाहेती ;घोटू ;
शुक्रवार, 26 जून 2020
【SEAnews:India Front Line Report】June 24, 2020 (Wed) No. 3943
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हे उच्चवर्ग के निम्न स्तरीय लोगों ,
तुम्हारी हरकतें तुम्हे धिक्कार रही है
तुम्हारी मरी हुई गैरत ,
तुम्हे पुकार रही है
किसी की चमचागिरी से ,
अगर थोड़ा सा लाभ जो मिल जाए
तो अपना जमीर ही बेच दे
क्या आदमी इतना गिर जाए
तुम्हारे इस तरह के व्यवहार से ,
होती है हमें शर्मिंदगी
क्या इस तरह से ही तलवे चाट कर ,
जी जाती है जिंदगी
क्या मज़ा आता है तुम्हे ,
इधर की उधर लगाने में
क्या सुख मिलता है तुम्हे ,
एक दूसरे को लड़ाने में
तुम बड़े भोले बनते हो ,
पर लोग तुम्हे जान गए है
शेखी बघारना छोड़ दो ,
सब तुम्हे पहचान गए है
तुम्हारी दिखती तो ऊंची दूकान है
पर पकवान बड़े फीके है
अपना मतलब निकालने के लिए ,
तुम्हारे बड़े घटिया तरीके है
अपनी करतूतों से बाज आओ ,
जो करती तुम्हे शर्मसार रही है
हे उच्चवर्ग के निम्नस्तरीय लोगों ,
तुम्हारी हरकतें तुम्हे धिक्कार रही है
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
बहुत थी हसरतें मन में ,यहाँ जाऊं ,वहां जाऊं
खरीदूं सारी दुनिया को ,यहाँ खाऊं ,वहां खाऊं
चाह थी देख लूं दुनिया ,मगर कर पाया ना ऐसा
रह गयी दिल की सब दिल में,नहीं था पास में पैसा
उमंगों को लग गए पर ,करी जी तोड़ कर मेहनत
जवानी भर ,इसी धुन में ,बिगाड़ी अपनी सब सेहत
पास में आज पैसा है ,कमा ली ढेर सी दौलत
करूं सब शौक अब पूरे ,नहीं इतनी बची हिम्मत
बुढ़ापा आगया है अब ,कई तकलीफ़ ने घेरा
कई बीमारियों ने आ ,मेरे तन पर किया डेरा
रही ना हसरतें मन में ,बची ना है कोई ख्वाइश
गयी जब सूख फसलें तो भला किस काम की बारिश
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
गुरुवार, 25 जून 2020
कर दिये इस बुढ़ापे में ,पस्त इतने हौंसले है
ऐसा लगता हम हमारी , शख्सियत ही खो चले है
पीर दिल की छुपाने को ,हंसी हँसते खोखली है ,
सच मगर ये, दर असल में ,हो गये हम खोखले है
अपनों की रुसवाइयाँ है ,काटती तन्हाईयाँ है ,
कभी रौनक थी जहाँ पर ,पड़े सूने घोसले है
नींदभी आती नहीं है ,ख्वाब भी आते नहीं है ,
समंदर में यादों के बस ,हुआ करती हलचलें है
ठीक से चल नहीं पाते ,फूलने लगती है साँसें ,
जिंदगानी के सफर में ,भले हम मीलों चले है
भूलने की बिमारी का ,असर इतना हो गया है ,
भूल जाते हैं हम अक्सर ,पार सत्तर हो चले है
भावनाओं ने फंसाया ,नहीं छूटी मोह माया ,
छोड़ गुड़ हमने दिया पर ,नहीं छूटे गुलगुले है
आप माने या न माने ,बुढ़ापे की ये हक़ीक़त ,
सिर्फ बीबी साथ देती ,आप वरना ऐकले है
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
१
यह द्वापर की बात है ,जब गोकुल के पास
एक कालिया नाग का ,था यमुना में वास
था यमुना में वास ,किया था जल जहरीला
उसको बस में किया कृष्ण ने ,दिखला लीला
करी नागिनों ने विनती ,कर फन पर नर्तन
प्राण दान दे ,किया समंदर में निष्कासन
२
वही भयंकर विषैला ,दुष्ट कालिया नाग
गया समंदर तैरता ,चीन देश को भाग
चीन देश को भाग ,बन गया चीनी ड्रेगन
जहरीले कर दिये वहां के लोगों के मन
फिर फुंकार रहा है ,करने उसका मर्दन
भारत का हर सैनिक तत्पर है कान्हा बन
मदन मोहन बाहेती ;घोटू '
रविवार, 21 जून 2020
हमने अपनी जिन आँखों से ,देखा है चंदा का आनन,
अपनी उन आँखों से क्यों कर ,हम ग्रसता सूरज देखेंगे
जिन आँखों में बसी हुई है ,चंदा की सुन्दर मादक छवि ,
अपनी उन शीतल आँखों से ,क्यों जलता सूरज देखेंगे
चंदा का प्यारा चेहरा तो ,बसा हमारी आँखों में है ,
इसीलिए तो आसमान में ,चंदा चमकेगा आज नहीं
उसकी यादों में क्षीण हुआ ,सूरज तम से ढक जाएगा ,
दे स्वर्ण मुद्रिका उसे पटा लेगा ,करता नाराज नहीं
सूरज पर चंदा की छाया ,कैसी प्रकृति की लीला है ,
जैसे बाहों के बंधन में ,चंदा और सूरज देखोगे
कल सुबह पुनः हम प्राची से ,ले वही सुनहरी सी आभा ,
वो ही हँसता मुस्काता सा ,प्यारा सा सूरज देखेंगे
घोटू
आज का दिन ,योग का दिन
और भगाओ रोग का दिन
स्वस्थ हो तन खुश रहे मन
ये कई संयोग का दिन
आज है संगीत का दिन
मधुर स्वर और गीत का दिन
तार दिल के करे झंकृत ,
प्रीत और मनमीत का दिन
आज दिन सूरज ग्रहण है
सूर्य घटता ,हरेक क्षण है
ग्रसित होकर लुप्त होगा ,
पायेगा फिर नवजीवन है
आज दिन 'फादर 'स डे 'है
आज हम जो कुछ बने है
वंदना उस जनक की है ,
जिनका आशीर्वाद ये है
आज है सबसे बड़ा दिन
देखलो कितना चढ़ा दिन
आज 'सेल्फी 'का दिवस है
कैमरा लेकर खड़ा दिन
घोटू
शुक्रवार, 19 जून 2020
मोहतरमा से हुई मोहब्बत ,मोह जाल में उलझ गया
गाल गुलाबी ,तिरछी नज़रें ,अधर लाल में उलझ गया
'घोटू 'इस फेरे में फंस कर ,उन संग फेरे सात लिये ,
बैल बन गया मैं कोल्हू का ,रोटी दाल में उलझ गया
उनसे आँखें चार हुई क्या ,चार दिनों के जीवन में
कैसे पैसे चार कमाऊं ,इस सवाल में उलझ गया
संगदिल के संग,दिल मिलने की,ऐसी मुझको मिली सजा
रंग ढंग बदल गया जीवन का ,तंगहाल में उलझ गया
तेज बड़ा ही धार दार होता हथियार ,हुस्न का है ,
उसकी मादक मार सुहाती ,यार प्यार में उलझ गया
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
गुरुवार, 18 जून 2020
संकट तो है आते जाते
करे सामना ,हम मुस्काते
शीतकाल में ठिठुरा करते
हो जब ग्रीष्म ,तपन से डरते
बारिश शीतल जल बरसाती
पर ज्यादा हो ,नहीं सुहाती
लाती बाढ़ ,अधिक बरसाते
संकट तो है आते जाते
रोज रोज ,कुछ ना कुछ होना
कल तक फ्लू था ,आज करोना
फ़ैल रहा यह दुनिया भर में
दहशत सी फैली घर घर में
बुरी बला से सब घबराते
संकट तो है आते जाते
बार बार और जगह जगह पर
धरती काँप रही रह रह कर
उठती मन में आशंकायें
बड़ा जलजला ना आ जाये
बुरे ख्याल है हमें जगाते
संकट तो है आते जाते
सीमाओं पर चीनी ड्रेगन
है फुंकारता,उठा रहा फ़न
पकिस्तान ,उधर आतंकी
रोज रोज देता है धमकी
विपदा के बादल मंडराते
संकट तो है आते जाते
परिस्तिथियाँ बड़ी विकट है
सभी तरफ संकट संकट है
इनको है जो अगर थामना
हम हिम्मत से करें सामना
साहसी सदा ,विजयश्री पाते
संकट तो है आते जाते
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
चैन की बीन बजानेवाले ,चीन की बीन बजायेंगे
कालिया नाग नचाने वाले ,ड्रेगन को भी नचायेंगे
चंद मिसाइल बना लिए क्या जिनके बल तू ऐंठा है
चिन्दी क्या पा ली चूहे ने , तू बजाज बन बैठा है
बार बार पंगे लेता है ,बड़ी बुरी ये आदत है
ये उन्नीस सौ बांसठ का ना ,ये मोदी का भारत है
चीनी के बर्तन के जैसा ,तुमको तोड़ दिखायेंगे
चैन की बीन बजानेवाले ,चीन की बीन बजायेंगे
बाज आओ अपनी हरकत से,वर्ना तुम पछताओगे
हमसे जो टकराओगे तो चूर चूर हो जाओगे
गलवान ना ,माँद शेर की ,में तुमने सर डाला है
ये मत भूलो ,अबकी बार ,पड़ा मोदी से पाला है
हम चीनी की बना चाशनी ,डुबा जलेबी खायेंगे
चैन की बीन बजानेवाले ,चीन की बीन बजायेंगे
मुख में राम ,बगल में छुरी का चरित्र तुम्हारा है
तुमने कोरोना फैला कर ,कितनो को ही मारा है
छोडो चलना चाल, तुम्हारा बुरा हाल हम कर देंगे
ईंट अगर फेंकोगे तुम ,हम उत्तर में पत्थर देंगे
जिनपिंग,पिंगपांग खेलोगे ,नानी याद दिलायेंगे
चैन की बीन बजानेवाले ,चीन की बीन बजायेंगे
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
बुधवार, 17 जून 2020
प्रभु ने रचा एक भूमण्डल ,माटी पत्थर ,जल भर कर
गोलमोल है,घूम रहा ,वो भी टेड़ा ,निज धुरी पर
फैली कहीं घनी हरियाली ,और कहीं है मरुस्थल
सर्दी गरमी ,बारिश सूखा ,चलता ऋतुओ का चक्कर
खड़े पहाड़ और भरे समंदर ,नदियां ,नाले बहते है
ईश्वर की इस अनुपम कृति को हम सब दुनिया कहते है
ये सब तो है भौतिक दुनिया ,एक मानसिक है दुनिया
तेरी मेरी उसकी इसकी ,सबकी अलग अलग दुनिया
मेरी बीबी , घर बच्चे है ,यह मेरी अपनी दुनिया
तेरी बीबी , घर बच्चे है यह तेरी अपनी दुनिया
इतने ज्यादा आत्म केन्द्रित ,कि बस मैं ,मेरी मैना
सब अपनी दुनिया में सिमटे ,फिर दुनिया से क्या लेना
परिवार मेरा, मेरा घर ,मेरा पैसा , और इज्जत
जाते भूल , जिंदगी जीने ,प्रभु की दुनिया आवश्यक
वो ही हमको देती है जल ,वृक्ष दे रहे ऑक्सीजन
खाने को फल ,धान्य दे रही ,जिनसे चलता है जीवन
और बसाने अपनी दुनिया ,हम वृक्षों को काट रहे
रची प्रभु ने है जो दुनिया ,कर उसको बरबाद रहे
ये मत भूलो ,जब तक ये दुनिया ,तब तक अपनी दुनिया
इस दुनिया का ख्याल रखो ,ये तो है हम सबकी दुनिया
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
सारी फुर्ती फुर्र हो गयी ,आलस ने डाला डेरा
कोरोना की कोपदृष्टी से ,बैठ गया भट्टा मेरा
सारा बेड़ा गर्क कर दिया ,ऐसा मारा मंदी ने
कामों पर कस दी लगाम ,इस लम्बी तालाबंदी ने
कोई सांप सा सूंघ गया हो ,ऐसी मन में दहशत है
हुये हौसले पस्त बची ना ,थोड़ी सी भी हिम्मत है
लकवा जैसा मार गया है ,जोश गया पानी लेने
मालगाड़ी की चाल चल रही ,थी जो एक्सप्रेस ट्रेने
हर कोई है ख़ौफ़ज़दा और सहमा सहमा सा मन में
कभी कल्पना भी ना थी वो हुआ हादसा जीवन में
बार बार भूकंप आ रहे ,सीमा पर हड़कंप मचा
किये गुनाह कौनसे हमने ,जिनकी मिलती हमें सजा
पिछले तीन माह में हमको,क्या क्या ना दिखलाया है
हे प्रभु क्या है तेरे मन में ,ये तेरी क्या माया है
तूफानों में नाव हमारी डगमग डगमग भटक रही
तू ही इसको पार लगा दे ,बता रास्ता सही सही
या फिर ले अवतार ,मिटा दे ,कोरोना की हस्ती को
पहले सा खुशहाल बना दे नगर ,गाँव हर बस्ती को
बन प्रकाश आलोकित पथ कर,अन्धकार ने है घेरा
फुर्र हुई फुर्ती फिर आये ,हो उपकार अगर तेरा
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
मंगलवार, 16 जून 2020
प्रार्थना श्री हनुमान जी से
चौपाई
जय हनुमान अंजनी नंदन
हाथ जोड़ हम करते वंदन
तुम हो अतुलित बल के स्वामी
कृपा करो प्रभु ,अन्तर्यामी
परम भक्त तुम श्री राम के
हर विपदा में सदा काम के
तुमने मारा अहिरावण को
छुड़ा लाये तुम रामलखन को
पहाड़ उठा संजीवनी लाये
लक्ष्मण जी के प्राण बचाये
सीताहरण किया रावण ने
उसका पता लगाया तुमने
लांघ समुन्दर ,पहुंचे लंका
बजा दिया निज बल का डंका
रोकी सुरसा ,राह ,भयंकर
घुसे मुंह में ,लघु रूप धर
अंदर जा निज तन विस्तारा
इस विधि था सुरसा को मारा
हनुमन,आज वो ही सुरसा मुख
फैला रहा कोरोना, दे दुःख
हे प्रभु आप चिरंजीवी हो
आओ ,प्रकटो ,जहाँ कहीं हो
सूक्ष्म रूप धर ,हे हनुमंता
बनो आप कोरोना हंता
अंत करो तुम इस राक्षस का
काम आपके ही ये बस का
हे बजरंग बली ,महावीरा
दूर करो भक्तन की पीड़ा
कोरोना संहार करो प्रभु
हम सब पर उपकार करो प्रभु
दोहा
लाल देह ,लाली लसे ,महाबली हनुमंत
सुरसा जैसा कीजिये ,कोरोना का अंत
सेवक -मदन मोहन बाहेती 'घोटू 'रचित
विशेष प्रार्थना संपन्न
सोमवार, 15 जून 2020
re: Rank 1st in google with Content Marketing Strategy
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Regards
Charlsie Chavers
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सारी फुर्ती फुर्र हो गयी आलस ने डाला डेरा
कोरोना की कोपदृष्टी से ,बैठ गया भट्टा मेरा
सारा बेड़ा गर्क कर दिया ,ऐसा मारा मंदी ने
कामो पर कसदी लगाम,इस लम्बी तालाबंदी ने
लकवे जैसा मार गया कुछ ,जोश गया पानी लेने
मालगाड़ी की चाल चल रही थी जो एक्सप्रेस ट्रेने
कोई सांप सा सूंघ गया है ,ऐसी मन में दहशत है
हुये हौंसले पस्त, बची ना ,थोड़ी सी भी हिम्मत है
हर कोई है खौफ़जदा और सहमा सहमा सा मन में
कभी कल्पना भी ना थी वो, हुआ हादसा जीवन में
बार बार भूकम्प आरहे ,सीमा पर हड़कंप मचा
किये गुनाह कौनसे हमने ,जिनकी मिलती हमें सजा
पिछले तीन माह में हमको ,क्याक्या ना दिखलाया है
हे प्रभु क्या है ,तेरे मन में ,ये तेरी क्या माया है
तूफानों में ,फसी नाव है ,डगमग डगमग भटक रही
तू ही इसको पार लगा दे ,दिखा रास्ता ,सही सही
या फिर ले अवतार मिटा दे ,कोरोना की हस्ती को
पहले सा खुशहाल बना दे ,नगर ,गाँव हर बस्ती को
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
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डी. जे. पर प्रतिबन्ध लगे - आजकल शादी विवाह समारोह चल रहे हैं, आज घर के पीछे स्थित एक धर्मशाला में विवाह समारोह थाऔर जैसा कि आजकल का प्रचलन है वहाँ डी.जे. बज रहा था और शायद उच्चत...2 हफ़्ते पहले
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वहां का कश्मीर ,भारत के कश्मीर से ज्यादा खूबसूरत है - ऐसा क्या है जो भारत से अच्छा पाकिस्तान में हो ? वहां का कश्मीर ,भारत के कश्मीर से ज्यादा खूबसूरत है , वहां हिंगलाज मंदिर है। वो हिन्दुओ के 51 शक्तिपी...2 हफ़्ते पहले
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महिला दिवस विशेष १- भारतीय सिनेमा के निर्माण में महिलाओं की भूमिकाएँ - *भारतीय सिनेमा के निर्माण में महिलाओं की पार्श्व भूमिकाएँ – ऋता शेखर ‘मधु’* सिनेमा को सबसे लोकप्रिय कला माध्यम के रूप में देखा जाता है। एक वक्त था जब भा...2 हफ़्ते पहले
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'साहित्य' अलग है, 'भाषा' अलग है - भाषा में होता है ज्ञानऔर...अपना ज्ञान भी होता है भाषा काछोटे शब्दों में कहिए तोभाषा यानिज्ञान भीन मौन हैभाषाऔर न हीज्ञान मौन हैएक पहचान हैभाषा...जो अपने आ...3 हफ़्ते पहले
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दहेज कुप्रथा से बेटी को बचाने में सरकार और कानून असफल - आजकल रोज समाचारपत्रों में महिलाओं की मौत के समाचार सुर्खियों में हैं जिनमे से 90 प्रतिशत समाचार दहेज हत्याओं के हैं. जहां एक ओर सरकार द्वारा महिला सशक...3 हफ़्ते पहले
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बसंत के आने उम्मीद... - हर उस जगह से तुम लापता हो गए जहां मैं पहुंच सकती थी न सिर्फ पहुंचती बल्कि आवाज भी लगाती कि ठहरो, जरा एक नजर देख लो शायद मन का कोई छोटा सा ही हिस्सा अभी...4 हफ़्ते पहले
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जो मेरे अन्दर से गुजरता है - जाने कौन है वो जो मेरे अन्दर से गुजरता है थरथरायी नब्ज़ सा खामोश रहता है मैं उसे पकड़ नहीं सकती छू नहीं सकती एक आखेटक सा शिकार मेरा करता है जाने क...5 हफ़्ते पहले
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ओ साथी मेरे - मुझसे रुकने को कह चल पड़ा अकेले सितारों की दुनिया में जा छिपा कहीं ... वादा किया था उससे -कहा मानूंगी राह तक रही हूँ ,अब तक खड़ी वहीं... वो अब हमेशा के लिए म...1 माह पहले
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लोहे का घर 75 (संस्मरण) - लोहे का घर का घर मेरा पीछा नहीं छोड़ता या मैने लोहे के घर को अपना आवास बना लिया है, नहीं पता। अभी मुंबई, गोवा, पुणे घूमकर 10 दिनों में घर आया ही था कि आज ...1 माह पहले
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रामलला का करते वंदन - कौशल्या दशरथ के नंदन आये अपने घर आँगन, हर्षित है मन पुलकित है तन रामलला का करते वंदन. सौगंध राम की खाई थी उसको पूरा होना था, बच्चा बच्चा थ...1 माह पहले
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जीने का जज़्बा - *अरमाँ की तरह जो संग चले * *बाहों में वो कुछ यूँ भर ले * *जैसे कोई अपना होता है * *जैसे कोई सपना होता है * *कानों में वो कुछ यूँ कहता * *धरती अपनी ,दु...1 माह पहले
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गुलामी गीत - अति उन्माद अराजकता को जन्म देता है समय रख रहा है आधारशिला कल की, परसों की बरसों की इस दौर में सत्य का घूँट हलक से उतरा नहीं करता तुम बोलोगे मारे ...1 माह पहले
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कल्पना - आज मैं जो कुछ भी लिखने जा रही हूँ वह एक ऐसी घटना है जिसे यदि आप जीना चाहते हैं तो अपनी कल्पना शक्ति को बढ़ाईये. जितना ज्यादा आप अपनी कल्पना के घोड़े दौड़ाए...2 माह पहले
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12th Fail : सपनों को कैश कराने का जरिया या प्रेरणा का स्रोत? - *12th Fail : सपनों को कैश कराने का जरिया या प्रेरणा का स्रोत?* विधु विनोद चोपड़ा की हालिया रिलीज़ फिल्म "12th फेल" एक प्रेरणादायक कहानी है जो एक ऐसे लड़के...2 माह पहले
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वर्तमान की वह पगडंडी जो इस देहरी तक आती थी..... - *युद्ध : बच्चे और माँ (कविता)* साहित्य अकादमी के वार्षिक राष्ट्रीय बहुभाषीकवि सम्मेलन की चर्चा मैंने अभी पिछली बार की थी। वहाँ काव्यपाठ में प्रस्तुत अपनी र...5 माह पहले
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अवतरो धरा पर, हे नव शिशु ! - * अवतरो धरा पर, हे नव शिशु अँधियारे के कठिन प्रहरों में, तमस् की कारा में जहाँ युग तुम्हारी प्रतीक्षा में लोचन बिछाये है.सद्भावों के पक्ष मे दैवी शक्...6 माह पहले
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इस सप्ताह में ही भूकम्प के कई झटकों के साथ साथ एक बड़े भूकम्प के आने की आशंका है !! - Bhukamp kab aayega इस सप्ताह में ही भूकम्प के कई झटकों के साथ साथ एक बड़े भूकम्प के आने की आशंका है !! 21वीं सदी के शुरू होते ही इंटरनेट पर हिंदी ...6 माह पहले
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चंदा मामा पास के ........ - भारतीय समयानुसार छः बज कर चार मिनट का कर रहे थे इन्तज़ार , दिल धड़क रहे थे ज़ार ज़ार अभी भी नहीं गयी है आदत बचपन की जब भी आना होता था किसी का भी परिण...6 माह पहले
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डॉल्बी विजन देखा क्या? - इससे पहले, अपने पिछले आलेख में मैंने आपसे पूछा था – डॉल्बी एटमॉस सुना क्या? यदि आपने नहीं सुना, तो जरूर सुनें. अब इससे आगे की बात – डॉल्बी विजन देखा क...6 माह पहले
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चन्द्रशेखर आज़ाद - चंद्रशेखर "आज़ाद" ************** उदयाचल से अस्तातल तक इसकी जय जयकार रही, शिक्षा और ज्ञान की इस पर बहती सतत बयार रही, वैभव में दुनियाँ का कोई देश न इसका सानी...9 माह पहले
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अनायास - - * नयन अनायास भर आते हैं कभी, यों ही बैठे बैठे! नहीं , कोई दुख नहीं , कोई हताशा नहीं , शिकायत भी किसी से नहीं कोई. क्रोध ? उसका सवाल ही नहीं उठता ...10 माह पहले
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हमख्याल - हमखायाल कौन होता है. वह जिससें हमारी सोच हमारे ख्याल मिलते हैं वह जिससें हम दिल खोलकर बात कर सकते हैं. वह जिससे कोई पर्दादारी नहीं होती. अक्सर मन की परत...11 माह पहले
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क्यों बदलूं मैं तेवर अपने मौसम या दस्तूर नहीं हूँ - ग़ज़ल मंज़िल से अब दूर नहीं हूँ थोड़ा भी मग़रूर नहीं हूँ गिर जाऊँ समझौते कर लूँ इतना भी मजबूर नहीं हूँ दूर हुआ तू मुझसे फिर भी तेरे ग़म से चू...11 माह पहले
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Measuring Astronomical distances in Space - क्या आप जानते हैं कि दूरी कैसे मापी जाती है? बिल्कुल!!! हम सब जानते हैं, है ना?मान लीजिए कि मैं एक नोटबुक को मापना चाहती हूं, मैं एक पैमाना/रूलर लूंगी, एक ...1 वर्ष पहले
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भकूट - कूट-कूट कर भरा हुआ प्रेम.. - सबको भकूट दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। आप सब भी हैरान हो रहे होंगे कि आज तो वैलेंटाइन डे है, हैप्पी वैलेंटाइन डे बोलना होता है, यह भकूट दिवस क्या और कैसा। त...1 वर्ष पहले
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इल्लियाँ और तितलियाँ - बेचैन हैं कुछ इल्लियाँ तितलियाँ बन जाने को कर रही हैं पुरज़ोर कोशिश निकलने की कैद से अपने कोकून की। वे काट कर चोटियाँ, लहरा रही हैं , आज़ादी का परचम। गोलियाँ ...1 वर्ष पहले
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संवाद - एकांत में संवाद ************* उदास काले फूलों वाली रात उतरी पहाड़ो की देह पर जैसी सरकती हैं जमी पर असंख्य लाल चीटियां झूठी हँसी लिए स्नोड्राप बह रहे हैं एक ब...1 वर्ष पहले
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कुछ तो - *कुछ तो * सोचती हूं खोल दूं बचपन की कॉपियां और निकाल दूं सब कुछ जो छुपाती रही समय और समय की नजाकत के डर से निकालूँ वह इंद्रधनुष और निहारूं उसे ज...1 वर्ष पहले
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ज़िन्दगी पुरशबाब होती है - क्या कहूँ क्या जनाब होती है जब भी वो मह्वेख़्वाब होती है शाम सुह्बत में उसकी जैसी भी हो वो मगर लाजवाब होती है उम्र की बात करने वालों सुनो ज़िन्दगी पुरशबाब ह...1 वर्ष पहले
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Boond - Samay ki dhara bahati hai Nirantar abadhit. Main to usability ek choosing boond Jo ho jayegi jalashay men samarpit. Ya dhara me awashoshit. N...1 वर्ष पहले
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जाले: घोड़ा उड़ सकता है - जाले: घोड़ा उड़ सकता है: घोड़ा उड़ सकता है. पिछली शताब्दी के दूसरे दशक में जब मुम्बई-दिल्ली रेल लाइन की सर्वे हो रही थी तो एक अंग्रेज इंजीनियर ने कोटा व सवाई...1 वर्ष पहले
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नाच नचावे मुरली - क्या-क्या नाच नचावे मुरली, जहां कहीं बज जावे मुरली। मीठी तान सुनावे मुरली, हर मन को हर्षावे मुरली , जिसने भी सुनली ये तान, नहीं रहे उसमें अभिमान। मुरली तेर...1 वर्ष पहले
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"संविदा कर्मियों का दर्द" @गरिमा लखनवी - *संविदा कर्मियों का दर्द* *@**गरिमा लखनवी* *--* *कोई क्यों नहीं समझता* *दर्द हमारा* *हम भी इंसान हैं* *योगदान भी है हमारा* *--* *सरकारी हो या निजी* * कैसा भ...1 वर्ष पहले
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शब्द से ख़ामोशी तक – अनकहा मन का (२५) - * ये जीवन कढ़ाई में उबलती घनी मलाई की तरह है जिसमें हमारे सदगुण व अवगुण ( विकार, विचार, अच्छाई, बुराई, मोह, तृष्णा, वि...1 वर्ष पहले
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किताबों की दुनिया - 257 - तू वही नींद जो पूरी न हुई हो शब-भर मैं वही ख़्वाब कि जो ठीक से टूटा भी न हो * मेरी आंखे न देखो तुमको नींद आए तो सो जाओ ये हंगामा तो इन आँखों में शब भर होने...1 वर्ष पहले
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Tara Tarini Maha Shaktipeeth. - *Tara Tarini Maha Shaktipeeth* *गंजम जिले में पुरुषोत्तमपुर के पास रुशिकुल्या नदी के तट पर कुमारी पहाड़ियों पर तारा-तारिणी ओडिशा के सबसे प्राचीन शक्तिपीठों...2 वर्ष पहले
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मशहूर कथाएं : काव्यानुवाद - *दो बैलों की कथा :मुंशी प्रेमचंद)* (1) बछिया के ताऊ कहो, कहो गधा या बैल। हीरा मोती मे मगर, नहीं जरा भी मैल। नही जरा भी मैल, दोस्ती बैहद पक्की। मालिक झूरी म...2 वर्ष पहले
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अनूठा रहस्य प्रकृति का... - रात भर जागकर हरसिंगार वृक्ष उसकी सख्त डालियों से लगे नरम नाजुक पुष्पों की करता रखवाली कि नरम नाजुक से पुष्प सहला देते सख्त वृक्ष के भीतर सुकोमल...2 वर्ष पहले
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उद्विग्नता - जीवन की उष्णता अभी ठहरी है , उद्विग्न है मन लेकिन आशा भी नहीं कर पा रही इस मौन के वृत्त में प्रवेश बस एक उच्छवास ले ताकते हैं बीता कल , निर्निमे...2 वर्ष पहले
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क्षणिका - हां सच है देहरी पार की मैंने वर्जनाओं की रुढ़िवाद की पाखंड की कुंठा की .... ओह सभ्य समाज ....! तुम्हारी ओर से सिर्फ घृणा .? कहो इतने नाजुक कब से हो लि...2 वर्ष पहले
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महिला दिवस - विशेष - मैंने माँ से पहचाना एक स्त्री होना कितना दुसाध्य है कोई देवता हो जाने से पहचाना अपनी बहिनों से कैसे वो जोड़े रखती हैं एक घर को दूसरे से सीख पाया अपनी बेटियो...3 वर्ष पहले
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चुप गली और घुप खिडकी - एक गली थी चुप-चुप सी इक खिड़की थी घुप्पी-घुप्पी इक रोज़ गली को रोक ज़रा घुप खिड़की से आवाज़ उठी चलती-चलती थम सी गयी वो दूर तलक वो देर तलक पग-पग घायल डग भर प...3 वर्ष पहले
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गलती से डिलीट हो गए मेरे पुराने पोस्टों की पुनर्प्राप्ति : इंटरनेट आर्काइव के सौजन्य से - दो वर्ष पहले ब्लॉग का टेम्पलेट बदलने की की कोशिश रहा था। सहसा पाया कि कुछ पोस्ट गए। क्या हुआ था, पूरा समझ में नहीं आया। बाद में ब्लॉगर वालों को भ...3 वर्ष पहले
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Pooja (laghukatha) - पूजा " सुनिये ! ", पत्नी ने पति से कहा " जी कहिये", पति ने पत्नी की तरह जवाब दिया तो पत्नी चिढ़ गयी. पति को समझ आ गया और पत्नि से पूछा कि क्या बात है...3 वर्ष पहले
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अलसाई शाम तले - यूँ ही एल अलसाई शाम तले बैठें थे कभी दो चार जब पल मिले मदहोश शाम ढल गयी यूँ ही आलस में तकदीर में जाने कब हों फिर ये सिलसिले ..3 वर्ष पहले
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लाॅकडाउन 2 - मोदी जी....सुनो:- धीरे धीरे ही सही बीते इक्किस वार सोम गया मंगल गया कब बीता बुधवार कब बीता बुधवार हो गया अजब अचंभा लगता है इतवार हो गया ज्यादा लंबा दाढ़ी भी ...3 वर्ष पहले
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Gatyatmak Jyotish app - विज्ञानियों को ज्योतिष नहीं चाहिए, ज्योतिषियों को विज्ञान नहीं चाहिए।दोनो गुटों के झगडें में फंसा है गत्यात्मक ज्योतिष, जिसे दोनो गुटों के मध्य सेतु ...4 वर्ष पहले
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2019 का वार्षिक अवलोकन (अट्ठाईसवां) - खत्म होनेवाला है हमारा इस साल का सफ़र। 2020 अपनी गुनगुनी,कुनकुनी आहटों के साथ खड़ा है दो दिन के अंतराल पर। चलिए इस वर्ष को विदा देते हुए कुछ बातें कहती...4 वर्ष पहले
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इंतज़ार और दूध -जलेबी... - वोआते थे हर साल। किसी न किसी बहाने कुछ फरमाइश करते थे। कभी खाने की कोई खास चीज, कभी कुछ और। मैं सुबह उठकर बहन को फ़ोन पे अपना वह सपना बताती, यह सोचकर कि ब...4 वर्ष पहले
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गुड्डू आओ ... गोलगप्पे खाएँ .... - गुड्डू आओ ... चलें .. गोलगप्पे खाएँ कुछ खट्टे-मीठे .. तो कुछ चटपटे-चटपटे खाएँ चलो .. चलें ... अपने उसी ठेले पे .. स्कूल के पास ... आज .. जी भर के ... मन भ...4 वर्ष पहले
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cara mengobati herpes di kelamin - *cara mengobati herpes di kelamin* - Penyakit herpes genital baik pada pria maupun pada wanita kerap menjadi permasalahan tersendiri, karena resiko yang le...5 वर्ष पहले
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आइने की फितरत से नफरत करके क्या होगा - आईने की फितरत से नफरत करके क्या होगा किरदार गर नहीं बदलोगे किस्सा कैसे नया होगा हर बार आईना देखोगे धब्बा वही लगा होगा आईने लाख बदलो सच बदल नहीं सकते ज...5 वर्ष पहले
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शर्मसार होती इंसानियत.. - *इंसानियत का गिरता ग्राफ ...* आज का दिन वाकई एक काले दिन के रूप में याद किया जाना था. सबेरे जब समाचार पत्रों में इंसानियत को शर्मसार कर देने वाले इस समाचा...6 वर्ष पहले
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कूड़ाघर - गैया जातीं कूड़ाघर रोटी खातीं हैं घर-घर बीच रास्ते सुस्तातीं नहीं किसी की रहे खबर। यही हाल है नगर-नगर कुत्तों की भी यही डगर बोरा लादे कुछ बच्चे बू का जिनपर...6 वर्ष पहले
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एक अधूरी [ पूर्ण ] कविता - घर परिवार अब कहाँ रह गए है , अब तो बस मकान और लोग बचे रहे है बाकी रिश्ते नाते अब कहाँ रह गए है अब तो सिर्फ \बस सिर्फ नाम बचे है बाकी तीज त्योहार कहाँ ...6 वर्ष पहले
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लिखते रहना ज़रूरी है ! - पिछले कई महीनों में जीवन के ना जाने कितने समीकरण बदल गए हैं - मेरा पता, पहचान, सम्बन्ध, समबन्धी, शौक, आदतें, पसंद-नापसंद और मैं खुद | बहुत कुछ नया है लेकिन...6 वर्ष पहले
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इन आँखों में बारिश कौन भरता है .. - बेतरतीब मैं (३१.८.१७ ) ` कुछ पंक्तियाँ उधार है मौसम की मुझपर , इस बरस पहले तो बरखा बरसी नहीं ,अब बरसी है तो बरस रही ,शायद ये पहली बारिशों का मौसम...6 वर्ष पहले
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सवाल : हम आपदाओं में फेल क्यों? जवाब में यह हकीकत पढि़ए - राजस्थान के एक हिस्से में बाढ़ का कहर है और लोग आपदा से घिरे हैं। प्रशासनिक अमला इतना असहाय नजर आ रहा है। आपदाएं हमेशा आती है और सरकारी तंत्र लाचार नजर आ...6 वर्ष पहले
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ब्लॉगिंग : कुछ जरुरी बातें...3 - पाठक हमारे ब्लॉग पर हमारे लेखन को पढने के लिए आता है, न कि साज सज्जा देखने के लिए. लेखन और प्रस्तुतीकरण अगर बेहतर होगा तो यकीनन हमारा ब्लॉग सबके लिए लाभदा...6 वर्ष पहले
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गुरुपूर्णिमा मंगलमय हो - *गुरुपूर्णिमा मंगलमय हो * लगभग दो वर्ष के लंबे अंतराल के पश्चात् परम श्रद्धेय स्वामीजी संवित् सोमगिरि जी महाराज के दर्शन करने (अभी 1 जुलाई) को गया तो मन भ...6 वर्ष पहले
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जिन्द्गी - जिन्दगी कल खो दिया आज के लिए आज खो दिया कल के लिए कभी जी ना सके हम आज के लिए बीत रही है जिन्दगी कल आज और कल के लिए. दोस्तों आज मेरा जन्म दिन भ...6 वर्ष पहले
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हम चाँद को सिक्का बना दुनिया खरीद लेंगे - *हम चाँद को सिक्का बना दुनिया खरीद लेंगेहाँ ! चाँद को सिक्का बना दुनिया खरीद लेंगे* जो रात होगी तो जमी से चाँदी बटोर लेंगे चाँदी की फिर पायल बना लम्हों ...7 वर्ष पहले
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Demonetization and Mobile Banking - *स्मार्टफोन के बिना भी मोबाईल बैंकिंग संभव...* प्रधानमंत्री मोदीजी ने अपनी मन की बात में युवाओं से आग्रह किया है कि हमें कैशलेस सोसायटी की तरफ बढ़ना है औ...7 वर्ष पहले
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गीत अंतरात्मा के: आशा - गीत अंतरात्मा के: आशा: मैं एक आशा हूँ मेरे टूट जाने का तो सवाल ही नहीं होता मैं बनी रहती हूँ हर एक मन में ताकि हर मन जीवित रह सके मुझे खुद को बचाए ही र...7 वर्ष पहले
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'जंगल की सैर ' - मेरी पुरुस्कृत बाल कहानी 'जंगल की सैर ' मातृभारती पर। पढ़े और अपनी राय दें http:matrubharti.com/book/5492/7 वर्ष पहले
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पानी की बूँदें - पानी की बूँदे भी, मशहूर हो गई । कल तक जो यूँही, बहती थी बेमतलब, महत्वहीन सी यहाँ वहाँ, फेंकी थी जाती, समझते थे सब जिसके, मामूली सी ही बूँदें, आज वो पहुँच स...7 वर्ष पहले
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खोया बच्चा..... - आज एक हास्य कविता एक बच्चा रो रहा था , मेले में अनाउंसमेंट हो रहा था , जल्दी आएं जिन का बच्चा हो ले जाएँ | तभी सौ से ज्यादा लोग वहां आते है जल्दी से बच...8 वर्ष पहले
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स्वागतम् - मित्रों, सभी को अभिवादन !! बहुत दिनों के बाद कोई पोस्ट लिख रहा हूँ | इतने दिनों ब्लॉगिंग से बिलकुल दूर ही रहा | बहुत से मित्रों ने इस बीच कई ब्लॉग के लि...8 वर्ष पहले
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बीमा सुरक्षा और सुनिश्चित धन वापसी - कविता - अविनाश वाचस्पति - ##AssuredIncomePlanPolicy निश्चित धन वापसी और बीमा सुविधा संदेह नहीं यह पक्का बनाती है विश्वास विश्वास में ही मौजूद रहती है यह आस धन भी मिलेगा और निडर ...8 वर्ष पहले
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विंडोज आधारित सिस्टम में गुगल वाइस टाइपिंग - *विंडोज आधारित सिस्टम में गुगल वाइस टाइपिंग* हममें से अधिकांश लोगों को टंकण करना काफी श्रमसाध्य एवं उबाऊ कार्य लगता है और हम सभी यह सेाचते हैं कि व्यक...8 वर्ष पहले
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Happy Teacher's Day - “गुरु का हाथ” - *पिसते… घिसते… तराशे जाते…* *गिरते… छिलते… लताडे जाते…* *मांगते… चाहते… ठुकराए जाते…* *गुजर जाते हैं चौबीस या इससे ज्यादा साल…* *लगे बचपन से… बहुत लोग फरिश...8 वर्ष पहले
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हमारा सामाजिक परिवेश और हिंदी ब्लॉग - वर्तमान नगरीय समाज बड़ी तेजी से बदल रहा है। इस परिवेश में सामाजिक संबंध सिकुड़ते जा रहे हैं । सामाजिक सरोकार से तो जैसे नाता ही खत्म हो गया है। प्रत्येक...8 वर्ष पहले
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ज़िन्दगी का गणित - कोण नज़रों का मेरे सदा सम रहा न्यून तो किसी को अधिक वो लगा घात की घात क्या जान पाये नहीं हम महत्तम हुए न लघुत्तम कहीं रेखा हाथों की मेरे कुछ अधिक वक्र ...9 वर्ष पहले
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कम्बल और भोजन वितरण के साथ "अपंगता दिवस" संपन्न हुआ - *नई दिल्ली: विगत 3 दिसम्बर 2014 दिन-बधुवार को सुबह 10 बजे, स्थान-कोढ़ियों की झुग्गी बस्ती,पीरागढ़ी, दिल्ली में गुरु शुक्ल जैन चैरिटेबल ट्रस्ट (पंजीकृत) दिल...9 वर्ष पहले
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जून 2014 के बाद की गज़लें/गीत (21) चलो-चलो यह देश बचायें ! (‘शंख-नाद’ से) - (सारे चित्र' 'गूगल-खोज' से साभार) चुपके-खुल कर अमन जलाते | खिलता महका चमन जलाते || अशान्ति की जलती ज्वाला से- सुखद शान्ति का भवन जलाते || हिंसा के दुर्दम प...9 वर्ष पहले
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झरीं नीम की पत्तियाँ (दोहा-गीतों पर एक काव्य) (14) आधा संसार (नारी उत्पीडन के कारण) (क) वासाना-कारा (vi) कुबेर-सुत | - (सारे चित्र' 'गूगल-खोज' से साभार) दरिद्रता-दुःख-दीनता, निर्धनता की मार ! कितना पीड़ित विश्व में, है आधा संसार !! पुत्र कुबेरों के कई, कारूँ के कुछ लाल ! ज...9 वर्ष पहले
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आहटें ..... - *आज भोर * *कुछ ज्यादा ही अलमस्त थी ,* *पूरब से उस लाल माणिक का * *धीरे धीरे निकलना था * *या * *तुम्हारी आहटें थी ,* *कह नहीं सकती -* *दोनों ही तो एक से...9 वर्ष पहले
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झाँसी की रानी पर आधारित "आल्हा छंद" - झाँसी की रानी पर आधारित 'अखंड भारत' पत्रिका के वर्तमान अंक में सम्मिलित मेरी एक रचना. हार्दिक आभार भाई अरविन्द योगी एवं सामोद भाई जी का. सन पैंतीस नवंबर उ...9 वर्ष पहले
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हम,तुम और गुलाब - आज फिर तुम्हारी पुरानी स्मृतियाँ झंकृत हो गई और इस बार कारण बना वह गुलाब का फूल जिसे मैंने दवा कर किताबों के दो पन्नों के भूल गया गया था और उसकी हर पंखुड़िय...9 वर्ष पहले
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गाँव का दर्द - गांव हुए हैं अब खंढहर से, लगते है भूल-भुलैया से। किसको अपना दर्द सुनाएँ, प्यासे मोर पप्या ? आंखो की नज़रों की सीमा तक, शहरों का ही मायाजाल है, न कहीं खे...9 वर्ष पहले
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संघर्ष विराम का उल्लंघन - जम्मू,संघर्ष विराम का उल्लंघनकरते हुए पाकिस्तानी सेना ने रविवार को फिर से भारतीय सीमा चौकियों पर फायरिंग की। इस बार पाकिस्तान के निशाने पर जम्मू जिले के का...10 वर्ष पहले
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प्रतिभा बनाम शोहरत - “ हम होंगें कामयाब,हम होंगें कामयाब,एक दिन ......माँ द्वारा गाये जा रहे इस मधुर गीत से मेरे अन्तःकरण में नए उत्साह का स्पंदन हो रहा था .माँ मेरे माथे को ...10 वर्ष पहले
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आवरण - जानती हूँ तुम्हारा दर्प तुम्हारे भीतर छुपा है. उस पर मैं परत-दर-परत चढाती रही हूँ प्रेम के आवरण जिन्हें ओढकर तुम प्रेम से भरे सभ्य और सौम्य हो जाते हो जब ...11 वर्ष पहले
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OBO -छंद ज्ञान / गजल ज्ञान - उर्दू से हिन्दी का शब्दकोश *http://shabdvyuh.com/* ग़ज़ल शब्दावली (उदाहरण सहित) - 2 गीतिका छंद वीर छंद या आल्हा छंद 'मत्त सवैया' या 'राधेश्यामी छंद' :एक ...11 वर्ष पहले
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इंतज़ार .. - सुरसा की बहन है इंतज़ार ... यह अनंत तक जाने वाली रेखा जैसी है जवानी जैसी ख्त्म होने वाली नहीं .. कहते हैं .. इंतज़ार की घड़ियाँ लम्बी होती हैं ख़त्म भ...11 वर्ष पहले
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यार की आँखों में....... - मैं उन्हें चाँद दिखाता हूँ उन्हे दिखाई नही देता। मैं उन्हें तारें दिखाता हूँ उन्हें तारा नही दिखता। या खुदा! कहीं मेरे यार की आँखों में मोतियाबिंद...11 वर्ष पहले
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आज का चिंतन - अक्सर मैं ऐसे बच्चे जो मुझे अपना साथ दे सकते हैं, के साथ हंसी-मजाक करता हूँ. जब तक एक इंसान अपने अन्दर के बच्चे को बचाए रख सकता है तभी तक जीवन उस अंधकारमय...11 वर्ष पहले
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क्राँति का आवाहन - न लिखो कामिनी कवितायें, न प्रेयसि का श्रृंगार मित्र। कुछ दिन तो प्यार यार भूलो, अब लिखो देश से प्यार मित्र। ……… अब बातें हो तूफानों की, उम्मीद करें परिवर्तन ...11 वर्ष पहले
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कल रात तुम्हारी याद - कल रात तुम्हारी याद को हम चाह के भी सुला न पाये रात के पहले पहर ही सुधि तुम्हारी घिर कर आई अहसास मुझको कुछ यूँ हुआ पास जैसे तुम हो खड़े व्याकुल हुआ कुछ मन...12 वर्ष पहले
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HAPPY NEW YEAR 2012 - *2012* *नव वर्ष की शुभकामना सहित:-* *हर एक की जिंदगी में बहुत उतार चढाव होता रहता है।* *पर हमारा यही उतार चढाव हमें नया मार्ग दिखलाता है।* *हर जोखिम से ...12 वर्ष पहले
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"भइया अपने गाँव में" -- (बुन्देली काव्य-संग्रह) -- पं० बाबूलाल द्विवेदी - We're sorry, your browser doesn't support IFrames. You can still <a href="http://free.yudu.com/item/details/438003/-----------------------------------------...12 वर्ष पहले
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अपनी भाषाएँ - *जैसे लोग नहाते समय आमतौर पर कपड़े उतार देते हैं वैसे ही गुस्से में लोग अपने विवेक और तर्क बुद्धि को किनारे कर देते हैं। कुछ लोगों का तो गुस्सा ही तर्क...12 वर्ष पहले
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