यह जिव्हा
यह जिव्हा अगर जो चटोरी न होती
समोसा न होता, पकौड़ी न होती
नहीं दही भल्लों की चाटें सुहानी
नहीं गोलगप्पों का खट्टा सा पानी
आलू की टिक्की, कचोरी ना होती
ये जिव्हा अगर जो चटोरी न होती
ना तो पाव भाजी , न इडली न डोसा
न मोमो ,न नूडल ,ना पिज़्ज़ा ही होता
छोले और भटूरे की जोड़ी ना होती
ये जिव्हा अगर जो चटोरी न होती
ना लड्डू ,ना बर्फी ,जलेबी का जलवा
रसगुल्ला प्यारा,ना गाजर का हलवा
रबड़ी,इमरती सुनहरी ना होती
ये जिव्हा अगर जो चटोरी ना होती
सभी बात दिल की , इसी से निकलती
कभी चलती कैंची ,कभी यह फिसलती
सभी राज दिल के, ये खोली न होती
ये जिव्हा अगर जो ,चटोरी न होती
कभी करती बकबक,मधुर गीत गाती
करो जो मोहब्बत,बहुत काम आती
लबों वाले चुंबन ,की चोरी न होती
ये जिव्हा अगर जो,चटोरी ना होती
दुआ जिव्हा को दो,उसके ही कारण
मज़ा खाने पीने का ये ले रहे हम
क्या होता अगर ये निगोड़ी न होती
ये जिव्हा अगर जो चटोरी न होती
मदन मोहन बाहेती घोटू