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बुधवार, 9 जुलाई 2025

यह जिव्हा 

यह जिव्हा अगर जो चटोरी न होती 
समोसा न होता, पकौड़ी न होती 

नहीं दही भल्लों की चाटें सुहानी 
नहीं गोलगप्पों का खट्टा सा पानी 
आलू की टिक्की, कचोरी ना होती 
ये जिव्हा अगर जो चटोरी न होती 

ना तो पाव भाजी , न इडली न डोसा 
न मोमो ,न नूडल ,ना पिज़्ज़ा ही होता 
छोले और भटूरे की जोड़ी ना होती 
ये जिव्हा अगर जो चटोरी न होती 

 ना लड्डू ,ना बर्फी ,जलेबी का जलवा 
रसगुल्ला प्यारा,ना गाजर का हलवा
रबड़ी,इमरती सुनहरी ना होती 
ये जिव्हा अगर जो चटोरी ना होती

सभी बात दिल की , इसी से निकलती 
कभी चलती कैंची ,कभी यह फिसलती 
सभी राज दिल के, ये खोली न होती 
ये जिव्हा अगर जो ,चटोरी न होती

कभी करती बकबक,मधुर गीत गाती 
करो जो मोहब्बत,बहुत काम आती 
लबों वाले चुंबन ,की चोरी न होती 
ये जिव्हा अगर जो,चटोरी ना होती

दुआ जिव्हा को दो,उसके ही कारण 
मज़ा खाने पीने का ये ले रहे हम
क्या होता अगर ये निगोड़ी न होती
ये जिव्हा अगर जो चटोरी न होती 

मदन मोहन बाहेती घोटू 


सोमवार, 7 जुलाई 2025

मां से 

तुम चली गई ,अब नहीं रही, पर शेष तुम्हारी यादें हैं 
हे मां तुम्हारे संस्कार ,सब परिवार को बांधे है

वह भोली भाली सी सूरत, वो आँखें जिनमें प्यार बसा 
वह हाथ उठा जो करते थे, देने को आशीर्वाद सदा 
वह हंसता मुस्काता चेहरा ,वह ममता और वह अपनापन 
तेरे आंचल की छाया में ,हमने काटा अपना बचपन
वह सौम्य रूप सीधा-सादा,वह प्यार लुटाते युगल नयन 
करते संचार शक्ति का थे, तेरे बोले हर मधुर वचन 
संघर्ष करो ,उत्कर्ष करो , यह गुण तुमसे ही पाया है 
तुझको झुकना ना आता था ,ना झुकना हमें सिखाया है 
अपने हाथों से मेरा सर सहला कर करती थी दुलार 
तूने हमको सद्बुद्धि दी, उत्तम शिक्षा अच्छे विचार

 रह रह आती याद हमें,तेरी गरिमा और स्वाभिमान 
तेरे हाथों से पका हुआ , पोषक भोजन और खानपान 
पथ सदा प्रदर्शित करता है ,तेरी शिक्षा और दिया ज्ञान 
ओ माता तेरे चरणों में मेरा कोटिश-कोटिश प्रणाम

मदन मोहन बाहेती घोटू 
उपहार

चौराविसवें में जनम दिवस पर मुझको यह उपहार चाहिए 
मुझे आपका प्यार प्यार बस सिर्फ प्यार ही प्यार चाहिए 

 जीवन की आपाधापी में ,कभी खुशी थी और कभी गम 
कभी ताप गर्मी का झेला, कभी शीत में ठिठुराये हम 
अब सूखा सूखा मौसम है ,बारिश की बौछार चाहिए 
मुझे आपका प्यार प्यार बस, सिर्फ प्यार ही प्यार चाहिए 

मैंने अब तक अपना जीवन ,स्वाभिमान के साथ जिया है 
नहीं किसी से कुछ मांगा है ,सिर्फ दिया ही दिया दिया है 
शुभकामनाएं मिले आपकी,आशीर्वाद हजार चाहिए  
मुझे आपका प्यार प्यार बस सिर्फ प्यार ही प्यार चाहिए

 गुलदस्ते में फूल महकते,हो कोई भी कांटा ना हो 
रहे प्रेम से हंसते गाते ,जीवन में सन्नाटा ना हो
 बचे हुए जीवन मुझको, पतझड़ नहीं , बहार चाहिए 
मुझे आपका प्यार प्यार बस सिर्फ प्यार ही प्यार चाहिए 

मदन मोहन बाहेती घोटू 
समझौता 

बचे हैं जीवन के कुछ साल 
आओ दे मन का मैल निकाल 

कभी मैंने तुमसे कुछ भला बुरा कहा होगा 
कभी तुमने मुझसे कुछ भला बुरा कहा होगा 
कभी तुम्हें मेरे व्यवहार से बुरा लगा होगा 
कभी मुझे तुम्हारे व्यवहार से बुरा लगा होगा 
पर जो हो गया सो हो गया, सब कुछ भुला दे 
हम अपने संबंधों को एक नया सिलसिला दें भूल जाए जो भी हैं शिकवे गिले 
और आपस में दिल खोल कर मिले 
और प्रेम से हो जाए मालामाल 
आओ दे मन का मैल निकाल 

गलतफहमियां कुछ तुमने हमने भी पाली होगी किसी ने बीच में अलगाव की दीवार डाली होगी 
चलो वो दीवार को तोड़ दें, रिश्तो में तनाव न रहे आपस में हो प्रेम भाव ,कोई मनमुटाव न रहे 
 बची हुई जिंदगी हंसी खुशी से मिलकर कांटे जितना भी हो सके प्रेम हम सब में बांटे 
आपस में मिलजुल कर 
प्रेम करें हम खुल कर
बचीखुची जिंदगी,हो जाए खुशहाल 
आओ दें मन का मैल निकाल 

मदन मोहन बाहेती घोटू 

सोमवार, 16 जून 2025

हम तुम और बीमारी 

बीमार तुम भी, बीमार हम भी 
बचा ना हम मे ,कोई दम खम भी 

चरमरा करके चलती जीवन की गाड़ी
कभी तुम अगाड़ी, कभी हम अगाड़ी 
बुढ़ापे का होता, यही आलम जी 
लाचार तुम भी, लाचार हम भी

न कुछ तुमसे होता, न कुछ हमसे होता
जैसे तैसे भी करके समझौता 
कभी मन में खुशियां ,तो कभी गम भी 
बीमार तुम भी ,बीमार हम भी 

कई चिंताओ व्याधियों ने है घेरा 
सहारा मैं तेरा ,सहारा तू मेरा 
डगमगाते चलते, हमारे कदम भी 
बीमार तुम भी ,बीमार हम भी 

संग संग हम हैं सुखी है इसी से 
बचा है जो जीवन काटें खुशी से 
करो प्यार तुम भी , करें प्यार हम भी
 बीमार तुम भी ,बीमार हम भी 

मदन मोहन बाहेती घोटू 

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