पते की बात
मुश्किलें
जब भी हो मुश्किल में तुम या परेशां,अवसाद में
खड़े तुम हो जाओ जाकर आईने के सामने
आईने में आपको एक नज़र चेहरा आएगा
कैसे मुश्किल से निकलना ,आपको बतलायेगा
घोटू
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*कवित्त*
*1-गुंजन अग्रवाल ‘अनहद’*
*1*
*श्याम रंग **चहूँ ओर**, **भीग गयो पोर**- पोर**,*
*अंग**- अंग राधिका के**, **दामिनी मचल उठी।*
*प्रेम की पिपास...
4 घंटे पहले
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