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गुरुवार, 6 दिसंबर 2012

सब कुछ गुम हो गया

        पते  की बात
  सब कुछ  गुम  हो गया

रात की नीरवता ,ट्रक और बसों की ,
                   चिन्धाड़ों  में  गुम  हो गयी 
दादी नानी की कहानियां,टी वी के,
                      सीरियलों में गुम  हो गयी 
बच्चों के चंचलता ,स्कूल के ,
                     होमवर्क के बोझ  से गुम  हो गयी
परिवार की हंसीखुशी ,बढती हुई ,
                     मंहगाई के बोझ से  गुम   हो  गयी
आदमी की भावनाएं और प्यार ,
                       भौतिकता के भार तले गुम हो गया
घर के देशी खाने का स्वाद ,
                      पीज़ा और बर्गर के क्रेज़ में गुम हो गया
   अब तो बस,मशीनवत ,जीवन सब जीते है
   भरे हुए दिखते  है ,अन्दर से रीते     है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'


 
 

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