चाँद और अमावास
भोलाभाला ,शांत,शीतल, और बन्दा नेक मै
करते सब बदनाम मुझको ,कि बड़ा दिलफेंक मै
पर बड़ा ही शर्मीला हूँ,और घबराता बहुत,
बादलों में जाता हूँ छुप, हसीनो को देख मै
चमचमाती तारिकाओं से घिरा मै रात भर ,
सभी मेरा साथ चाहें,और बन्दा एक मै
अमावस को थके हारे ,चंद्रमा ने ये कहा ,
महीने भर में ,एक दिन का,चाहता हूँ ,ब्रेक मै
घोटू
1454
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*कवित्त*
*1-गुंजन अग्रवाल ‘अनहद’*
*1*
*श्याम रंग **चहूँ ओर**, **भीग गयो पोर**- पोर**,*
*अंग**- अंग राधिका के**, **दामिनी मचल उठी।*
*प्रेम की पिपास...
3 घंटे पहले
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