आगर की माटी
मालव प्रदेश की भरी मांग ,
इसमें सिन्दूरी लाली है
है सदा सुहागन यह धरती ,
मस्तानी है,मतवाली है
जोड़ा है लाल,सुहागन सा,
महकाता इसका कण कण है
माथे पर इसे लगाओ तुम,
आगर की माटी चन्दन है
है ताल तले भैरव बाबा ,
जिसकी रक्षा करने तत्पर
और तुलजा मात भवानी का,
है वरद हस्त जिसके सर पर
बन बैजनाथ ,कर रहे वास ,
उस महादेव का वंदन है
माथे पर इसे लगाओ तुम,
आगर की माटी चन्दन है
मैने जब आँखें खोली थी ,
और ली पहली अंगडाई थी
नंदबाबा से बाबूजी थे ,
और मात यशोदा बाई थी
ये ही गोकुल है ,नंदगाँव ,
ये ही मेरा वृन्दावन है
माथे पर इसे लगाओ तुम ,
आगर की माटी चन्दन है
है मुझे गर्व ,इस धरती पर,
इस माटी पर,इस आगर पर
मै इस माटी का बेटा हूँ,
करता प्रणाम इस को सादर
इसमें है कितना वात्सल्य ,
कितनी ममता अपनापन है
माथे पर इसे लगाओ तुम,
आगर की माटी चन्दन है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
मालव प्रदेश की भरी मांग ,
इसमें सिन्दूरी लाली है
है सदा सुहागन यह धरती ,
मस्तानी है,मतवाली है
जोड़ा है लाल,सुहागन सा,
महकाता इसका कण कण है
माथे पर इसे लगाओ तुम,
आगर की माटी चन्दन है
है ताल तले भैरव बाबा ,
जिसकी रक्षा करने तत्पर
और तुलजा मात भवानी का,
है वरद हस्त जिसके सर पर
बन बैजनाथ ,कर रहे वास ,
उस महादेव का वंदन है
माथे पर इसे लगाओ तुम,
आगर की माटी चन्दन है
मैने जब आँखें खोली थी ,
और ली पहली अंगडाई थी
नंदबाबा से बाबूजी थे ,
और मात यशोदा बाई थी
ये ही गोकुल है ,नंदगाँव ,
ये ही मेरा वृन्दावन है
माथे पर इसे लगाओ तुम ,
आगर की माटी चन्दन है
है मुझे गर्व ,इस धरती पर,
इस माटी पर,इस आगर पर
मै इस माटी का बेटा हूँ,
करता प्रणाम इस को सादर
इसमें है कितना वात्सल्य ,
कितनी ममता अपनापन है
माथे पर इसे लगाओ तुम,
आगर की माटी चन्दन है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
बेहद ही बहूमूल्य रचना है।
जवाब देंहटाएंdhanywad
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