पते की बात
माँ का त्याग
घर में पांच लोग होते थे,,
पर जब चार सेव आते
तब माँ ही होती जो कहती ,
मुझे सेव फल ना भाते
घोटू
एक ख़त बीते लम्हों के नाम... संध्या शर्मा
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एक ख़त लिखना चाहती हूँ मैं,
उन गुजरे पलों के नाम,
जो छू गए थे मन को कभी
और खो थे वक़्त के अंधेरों में।
काग़ज़ पे उतर आएँगे,
कुछ धुंधले से चेहरे,
...
15 घंटे पहले
माँ तो ऐसी ही होती हैं ,दिल छू लेने वाली रचना
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