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मंगलवार, 30 मई 2023

तू तू मैं मैं 

अगर काटना है यह जीवन जो मस्ती में 
बहुत जरूरी पति-पत्नी में तू तू मैं मैं 

तू तू मैं मैं ना होगी, तकरार ना होगी 
जीत किसी की और किसी की हार न होगी 
नहीं रूठना होगा और ना मान मनौव्वल
होगा प्यार ही प्यार अगर जीवन में केवल 
मजा ना देगी ,भरी मिठाई , थाली पूरी 
स्वाद चाहिए ,संग होना, नमकीन जरूरी 
इसी तरह यदि बीच प्यार के, हो जो झगड़ा 
देता है जीवन में सुख को और भी बढ़ा 
बिन लड़ाई के ये जीवन है सूना सूना 
लड़कर प्यार करो ,आनंद आता है दूना
लड़ती है जबआंखें, होता तभी प्यार है 
बिन पतझड़ के कभी नहीं आती बहार है
नहीं एकरसता चाहते हो यदि जीवन में 
बहुत जरूरी ,पति-पत्नी में ,तू तू मैं मैं

मदन मोहन बाहेती घोटू
जवानी फिर से मिल जाए 

बीते हुए जवान दिनों की जब आती है याद 
दोनों हाथ उठा ईश्वर से करता में फरियाद 
ऐसा चमत्कार दिखला दो भगवान अबकी बार 
सूख रहा यह गुलशन फिर से हो जाए गुलजार 
मुरझाए इस दिल की कलियां फिर से खिल जाए 
 भगे बुढ़ापा दूर जवानी फिर से मिल जाए 

तन की सुस्ती हटे और फिर चुस्ती आ जाए 
नहीं रहे वीरानापन और मस्ती आ जाए 
तन में जोश भरे ,चेहरे पर ऐसी रंगत आय
साथ हसीनों का फिर से में कर पाऊं इंजॉय 
वह मुझको मिल जाए हमेशा जिस पर दिलआए 
भगे बुढ़ापा दूर ,जवानी फिर से मिल जाए

मदन मोहन बाहेती घोटू 
कन्यादान वरदान 

खत्म हुई शादी की धूम धाम 
उपहारों का आदान-प्रदान 
मनाने को हनीमून 
दूल्हा और दुल्हन 
चले गए हिल स्टेशन 
एक दिन लड़का लड़की के मां-बाप 
डिनर पर बैठे साथ-साथ 
कर रहे थे वार्तालाप 
लड़की की मां ने कहा, हमने अपनी प्यारी 
नाज़ों से पाली 
बेटी का कर दिया है कन्यादान 
हमें विश्वास है आप रखेंगे उसका ध्यान 
लड़के की मां ने कहा, आपने किया है कन्यादान तो हमने भी किया है वर का दान 
हमारा बेटा अब हमारे हाथ से निकल जाएगा अपनी बीवी की सुनेगा और उसके गुण गाएगा 
अपनी पत्नी के इशारों पर नाचेगा 
हमारी ओर ध्यान कब देगा 
आजकल 
नव युगल 
अपनी जिंदगी अपने ढंग से,
 मनाने को होते हैं बेकल 
 हमारा लाडला 
 पराया है हो चला 
 आज नहीं तो कल ,
 बना लेगा अपना अलग घोंसला 
 हमारा घर छोड़ कर उड़ जाएगा 
 अपनी दुनिया अपने ढंग से बसायेंगा 
 शायद यही सोचकर ,
 आपने पहले से ही इंतजाम कर दिया है 
एक फ्लैट दहेज में बेटी के नाम कर दिया है 
हमारा आशिर्वाद
हमेशा है उनके साथ 
वे जहां भी रहे ,जैसे भी रहे ,फले फूले 
पर अपने मां बाप को ना भूले 
यही तसल्ली क्या कम है हमारे लिए 
वे भी चैन से जिए और हम भी चैन से जिएं

मदन मोहन बाहेती घोटू 

गुरुवार, 25 मई 2023

बदला छोड़ो ,खुद को बदलो

 तुमने मुझ को गाली दी है,
 मैं भी तुमको गाली दूंगा 
 तुमने पीटा, मैं पीटूंगा,
  तुमसे पूरा बदला लूंगा 
  एक दूसरे के आगे हम ,
  लेकर के तलवार खड़े हैं 
  यही भावनाएं बदले की 
  युद्ध कराती बड़े बड़े हैं 
  इसीलिए तुम थोड़ा संभलो
  बदला छोड़ो, खुद को बदलो 
  
यदि जो तुम खुद को बदलोगे 
बदला बदला जगत लगेगा 
नफरत की बदली छट कर के
 प्यार भरा सूरज चमकेगा 
 सदभावों के फूल खिलेंगे ,
 जीवन की बगिया महकेगी 
 कांव-कांव का शोर हटेगा
  कुहू कुहू कोयल कूकेगी
  गुस्सा भूलो,थोड़ा हंस लो 
  बदला छोड़ो ,खुद को बदलो 
  
अपशब्द अगर कोई बोले 
चुपचाप सुनो ,मन शांत रखो 
कोई कितना भी उकसाये,
 व्यवहार मगर संभ्रांत रखो 
 कितनी भी विकट परिस्थितियां
  तुम्हारे जीवन में आए 
  तुम पार करोगे हर मुश्किल,
  विश्वास डगमगा ना पाये 
  मत अपने गले मुसीबत लो
बदला छोड़ो ,खुद को बदलो 

मदन मोहन बाहेती घोटू 
प्रेम संकेत 

तूने अपनी नजर झुका ली 
छाई कपोलों पर भी लाली 
बादल यह संकेत दे रहे ,
अब बारिश है होने वाली 

हल्की पवन, मंद मुस्काए 
आंख गुलाबी डोरे, छाये
ढलक गया सीने से आंचल,
लाज शर्म कुछ भी ना आए 
अंग अंग पर रंग चढ़ा है ,
हुई बावली ,तू मतवाली 
बादल यह संकेत दे रहे 
अब बारिश है होने वाली 

बढ़ी हुई है दिल की धड़कन 
हुआ मिलन को आतुर है मन 
सोंधी सोंधी खुशबू तन की ,
मौन,दे रही है आमंत्रण 
तन का रोम-रोम आनंदित,
 मन मस्ती ना जाए संभाली 
 बादल यह संकेत दे रहे ,
 अब बारिश है होने वाली

मदन मोहन बाहेती घोटू
नेत्रदान 

आंख मैंने दान कर दी, बस इसी उम्मीद से ,
मर के भी करता रहूंगा, हुस्न का दीदार मैं
करके आंखें चार ,कोई संग डूबूं प्यार में ,
और किसी की जिंदगी को कर सकूं गुलजार मैं

घोटू 
सात जन्म का साथ

मुझको पंडित जी ने बोला ,जो करेगा दान तू अप्सराएं स्वर्ग में पाएगा संगत के लिए 

मौलवी ने भी बताया करेगा खैरात तो 
तुझे जन्नत में मिलेगी हूरें खिदमत के लिए 

स्वर्ग पहुंचा तो खड़ी थी बीबी स्वागत के लिऐ,
स्वर्ग में भी,फिर वही,अफसोस था इस बात का 
बोली मैंने भी किया था दान ,आई हूं यहां ,
सात जन्मों का मुझे तुम संग निभाना साथ था 

घोटू 
जीवन संध्या 

सर की खेती उजड़ गई है 
तन की चमड़ी सिकुड़ गई है 
मुंह में दांत हो गए हैं कम 
आंखों से दिखता है मध्यम
 सहमी सहमी चाल ढाल है 
 याददाश्त का बुरा हाल है 
 नींद आती है उचट उचट कर 
 सोते, करवट बदल-बदल कर 
 बीमारी का जोर हुआ है 
 पाचन भी कमजोर हुआ है 
 कांटे वक्त नहीं है कटता 
 बार-बार मन रहे उचटता 
 हाथ पांव में बचा नहीं दम 
 थोड़ी मेहनत कर थकते हम 
 बढ़ा हुआ रहता ब्लड प्रेशर 
 मीठा खा लो, बढ़ती शक्कर 
 चाट पकोड़े खाना वर्जित 
 खाओ दवाई ,पियो टॉनिक 
 खेल बुढ़ापे ने है खेला 
 आई जीवन संध्या बेला 
 किंतु बुलंद हौसले फिर भी 
 मस्ती से हम जीते फिर भी

मदन मोहन बाहेती घोटू 

शुक्रवार, 19 मई 2023


मेरी बीवी , मेरी डॉक्टर 

तेरी मीठी मीठी बातें ,
नहीं बढ़ाती मेरी शुगर 
तेरा थोड़ा प्यार दिखाना ,
कंट्रोल करता ब्लड प्रेशर 

तू हल्का सा प्यार दिखाती,
सर का दर्द, दूर हो जाता 
तू हल्का सा मुस्कुरा देती
सारा डिप्रेशन हट जाता 

प्यार भरी नजरों से जब तू 
मुझे देखती ,टेंशन गायब 
और लिपटती सीने से जब
 मुझको खुशियां मिल जाती सब 
 
 तेरे हाथ पकाए भोजन 
 में सब मिनरल और विटामिन 
 तेरे आगे घुटने टेकूं,
 दर्द नहीं होता कोई दिन 
 
 तेरे साथ चाय प्याली पी
 मिट जाती सारी थकान है 
 तुझे नमन कर ,कमर दर्द का 
 मेरे हो जाता निदान है 
 
 मेरी नब्ज,हाथ में तेरे 
 तू ही वैद्य है, तू ही डॉक्टर 
 मेरे दिल की हर धड़कन में 
 तेरा नाम लिखा है, दिलवर 
 
 मेरी सारी बीमारी का 
 तू इलाज करने में सक्षम 
 तेरे पीछे मेड हुए हम ,
 मैडम तुझमें है दम ही दम 

मदन मोहन बाहेती घोटू 

बुधवार, 17 मई 2023

सुनिए सबकी ,करिए मन की

कुंजी यही सफल जीवन की 
सुनिए सबकी, करिए मन की 

परेशानियां हो या सुख दुख 
रायचंद आ जाते सन्मुख 
दे सलाह तुमको समझाते
जितने मुंह हैं,उतनी बातें 
सबके अपने अपने अनुभव 
पर लेना है तुमको निर्णय 
आगा पीछा सभी देख के
अपनी बुद्धि और विवेक से 
भला बुरा परिणाम सोच कर
 निर्णय लेना होगा श्रेयकर
 मन मस्तक में बना संतुलन 
 वही करो जो कहता है मन 
 सीमा में अपने साधन की 
 सुनिए सबकी ,करिए मन की 
 
हमने यह देखा है अक्सर 
असफल जो होते जीवन भर 
वह बन जाते सलाहकार हैं 
और उनमें हिम्मत अपार है 
मुफ्त सलाह बांटते रहते 
अपना समय काटते रहते 
उनके चक्कर में मत पड़ना
 ऐसे सलाहकार से बचना 
 वह जो कहते उनकी सुनिए 
 लेकिन सही रास्ता चुनिए 
 जो मन बोले ,माने मस्तक 
 निर्णय होगा वही सार्थक 
 कृपा दृष्टि होगी भगवन की 
 सुनिए सबकी ,करिए मन की

मदन मोहन बाहेती घोटू 
मां की ममता 

प्यार उमड़ता है आंखों से,वात्सल्य है ,अपनापन है 
मां, तू ममता की देवी है ,तुझ को सौ सौ बार नमन है 

तूने मुझे कोख में पाला, नौ महीने तक बोझ उठाया 
मैं जन्मा ,सीने से लिपटा, तूने अपना दूध पिलाया 
मेरे गालों की पुच्ची ली ,मेरे माथे को सहलाया 
तिल तिल मुझको बड़ा किया है ,पल पल अपना प्यार लुटाया
मैं यदि करता, गीला बिस्तर ,तू सूखे में मुझे सुलाती 
मुझे प्यार से चादर ओढ़ा, गीले में थी खुद सो जाती 
मीठे बोल सदा बोलूं मैं ,यही कामना लेकर मन में 
चांदी के सिक्के से लेकर ,माता शहद चटाई तूने 
जब मैं बोला ,सबसे पहले ,नाम लिया तेरा मां कह कर
मैंने आगे बढ़ना सीखा ,घुटने घुटने ,खिसक खिसक कर 
और फिर तूने उंगली थामी,मुझे सिखाया पग पग चलना 
तेरी गोदी का सुख देता, मेरा रोना और मचलना 
तूने अक्षर ज्ञान कराया ,मेरी उंगली पकड़ पकड़ कर 
इस दुनिया में कौन गुरु मां, हो सकता है तुझसे बढ़कर 
अपने हाथ ,दूध में रोटी चूर, निवाला देती थी तू 
मेरा रोना थम जाता था ,जब बाहों में लेती थी तू 
बुरी नजर से मुझे बचाती , माथ लगा काजल का टीका 
अच्छा क्या है और बुरा क्या, मां मैंने तुझसे ही सीखा 
मां ,तूने मुझ पर जीवन भर कितने ही एहसान किए हैं 
तूने अपनी आशिषों से ,मुझे सदा वरदान दिए हैं 
मैं जो कुछ भी आज बना हूं,वह तेरा लालन-पालन है 
मां ,तू ममता की देवी है ,तुझ को सौ सौ बार नमन है 

मदन मोहन बाहेती घोटू 
चिल बेबी चिल 

चिल होने से,टल जाती है,कितनी ही मुश्किल चिल बेबी चिल 
बात बात पर ,गर्मी खाना ,अच्छी बात नहीं है झगड़ा कर लेने का मतलब घूसे लात नहीं है 
अगर क्रोध थोड़ा सा पी लो, होती नहीं लड़ाई फिर से हाथ मिला लेने में, रहती सदा भलाई खटपट सारी हट जाती है ,मिल जाते हैं दिल 
चिल बेबी चिल 
चिल्डबियर या कोल्डड्रिंक की लज्जत होती प्यारी 
नहीं गरम पानी पीने से, मिटती प्यास हमारी
गुस्सा कर लेने से अक्सर ,बढ़ जाता ब्लड प्रेशर 
इसीलिए हर सिचुएशन में ,चिल रहना ही बेहतर 
दूर टेंशन ,मन में शांति, सबको जाती मिल 
 चिल बेबी चिल
 लड़ने पर आमादा कोई हो ,मत बात बढ़ाओ 
शांत रहो चुपचाप रहो तुम बस थोड़ा मुस्काओ  
तुम्हारी मुस्कान करेगी ऐसा असर निराला 
देखोगे कुछ पल में होगा, शांत सामने वाला शिकवे गिले दूर हो जाएंगे आपस में मिल 
 चिल बेबी चिल

मदन मोहन बाहेती घोटू 

गुरुवार, 11 मई 2023

कल की चिंता 

मुझे पता ना, कब जाऊंगा,
तुम्हें पता ना कब जाओगे 
सबके जाने का दिन तय है,
जब जाना है तब जाओगे 
कल जाने की चिंता में क्यों,
अपना आज बिगाड़ रहे हो 
हरी-भरी जीवन की बगिया 
को तुम व्यर्थ उजाड़ रहे हो 

लंबे जीवन की इच्छा में ,
कई सुखों से तुम हो वंचित 
यह मत खाओ ,वह मत खाओ
 कितने व्यंजन है प्रतिबंधित 
 कई दवाई की गोली तुम,
  नित्य गटकते,टानिक पीते 
  खुद को बांधा, अनुशासन में ,
  बहुत नियंत्रित जीवन जीते 
  इच्छा माफिक, कुछ ना करते ,
  अपने मन को मार रहे हो 
  कल जाने की चिंता में क्यों 
  अपना आज बिगाड़ रहे हो 
  
मौत सभी को ही आनी है 
कटु सत्य है यह जीवन का 
तो फिर जब तक जीवन जियें,
क्यों न करें हम अपने मन का 
हर एक बात में ,इससे ,उससे 
क्यों करते हैं हम समझौता 
खुद को तरसा तरसा जीते ,
यह भी कोई जीना होता 
हो स्वतंत्र तुम खुल कर जियो,
 क्या तुम सोच विचार रहे हो 
 कल जीने की चिंता में क्यों 
 अपना आज बिगाड़ रहे हो

मदन मोहन बाहेती घोटू 
प्यार की प्यास 

मोहता है मोहतरमा का अगर मुखड़ा कोई,
मन मुताबिक मोह में पड़कर मोहब्बत कीजिए

दिल किसी पर आगया तो दिल्लगी मत समझना,
उसको अपना दिल लगाकर बना दिलवर लीजिए
  
अगर प्यासा हो तुम्हारा मन किसी के प्यार का, 
बना करके यार उसको पियो पानी प्रेम का ,

उसको अपना बनाकर ,अपनाओ सारी जिंदगी, 
जान उसको जानेमन, तुम जान उस पर दीजिए

घोटू 

सोमवार, 8 मई 2023

छुट्टी ही छुट्टी 

बुढ़ापा ऐसा आया है ,
हो गई प्यार की छुट्टी 
रोज हीअब तो लगती है,
हमें इतवार की छुट्टी 

झगड़ते ना मियां बीवी,
बड़े ही प्यार से रहते ,
हुई इसरार की छुट्टी 
हुई इंकार की छुट्टी 

जरा सी मेहनत करते,
फूलने सांस लगती है ,
खतम अब हो गया दमखम,
 हुई अभिसार की छुट्टी 
 
जरा कमजोर है आंखे,
और धुंधला सा दिखता है ,
इसी कारण पड़ोसन के 
हुई दीदार की छुट्टी 

लगी पाबंदी मीठे पर 
और खट्टा भी वर्जित है 
जलेबी खा नहीं सकते 
हुई अचार की छुट्टी 

गए ऐसे बदल मौसम 
रिटायर हो गए हैं हम 
न दफ्तर रोज का जाना,
है कारोबार की छुट्टी 

बचा जितना भी है जीवन 
करें हम राम का स्मरण 
पता ना कब ,कहां ,किस दिन ,
मिले संसार की छुट्टी

मदन मोहन बाहेती घोटू 
यह मत सोचो कल क्या होगा 

यह मत सोचो कल क्या होगा 
जो भी होगा अच्छा होगा 

सोच सकारात्मक जो होगी 
तो बारिश होगी खुशियों की 
जो तुम खुद का ख्याल रखोगे 
गलत सलत यदि ना सोचोगे 
तब ही तो वह ऊपर वाला 
रख पाएगा ख्याल तुम्हारा 
और तन सेहतमंद रहेगा 
मन में भी आनंद रहेगा 
हंसी खुशी से रहो हमेशा 
जीवन जियो पहले जैसा 
सोचो हर दिन ,मैं हूं बेहतर 
प्यार लुटाओ सबपर,मिलकर 
प्यार पाओगे आत्म जनों का 
जो भी होगा ,अच्छा होगा 
यह मत सोचो ,कल क्या होगा

घोटू 

शनिवार, 6 मई 2023

पड़ी है सबको अपनी अपनी

कोई तुम्हारा साथ ना देता ,
पड़ी है सबको अपनी अपनी 
सारा जीवन, सुख में ,दुख में,
साथ निभाती ,केवल पत्नी 

तू था कभी कमाया करता 
घर का खर्च उठाया करता 
खूब कमाता था मेहनत कर 
परिवार था तुझ पर निर्भर 
बच्चे तेरे बड़े हुए सब 
अपने पैरों खड़े हुए सब 
अच्छा खासा कमा रहे हैं 
मौज और मस्ती उड़ा रहे हैं 
अब बूढ़ा लाचार हुआ तू 
उनके सर पर भार हुआ तू 
सबने तुझको भुला दिया है 
पीड़ा ,दुख से रुला दिया है 
मतलब नहीं रहा ,बंद कर दी
तेरे नाम की माला जपनी
पड़ी है सबको अपनी अपनी 

देती दूध गाय है जब तक 
चारा उसे मिलेगा तब तक 
अब तेरी कुछ कदर नहीं है 
जीवन का कटु सत्य यही है 
जिन पर तूने जीवन वारा
वो ना देते तुझे सहारा 
तेरा ख्याल में रखते किंचित 
करते रहते सदा उपेक्षित
हर घर की है यही हकीकत 
वृद्ध हुए ,घट जाती कीमत 
तू चुप रह कर सब कुछ सह ले 
थोड़ा नाम प्रभु का ले ले 
काम, राम का नाम आएगा ,
जिंदगी अब ऐसे ही कटनी 
पड़ी है सबको अपनी-अपनी

मदन मोहन बाहेती घोटू 
मां की याद 

बहुत आशिषे ,पाईं मैंने, मां छू चरण तुम्हारे 
तेरी सेवा करी ,मिल गए ,पुण्य जगत के सारे 

तेरी आंखों में लहराता था ममता का सागर 
तेरी शिक्षा से ही मेरा, जीवन हुआ उजागर 
मैंने पग पग चलना सीखा उंगली थाम तुम्हारी सदा स्नेह छलकाती रहती ,तेरी आंखें प्यारी 
जब भी कोई ,मुश्किल आई ,तूने रखा संभाले बहुत आशिषे,पाई मैंने , मां छू चरण तुम्हारे 

तूने पूरे परिवार को ,बांधे रखा हमेशा 
सब पर प्यार लुटाने वाला कोई न तेरे जैसा 
तेरी एक एक बातें मां , रह रह याद करूं मैं 
कोई गलत काम करने से, बचकर रहूं,डरूं मैं 
धर्म और सत्कर्म करो तुम ,थे आदर्श निराले 
बहुत आशिषे,पाई मैंने , मां छू चरण तुम्हारे

मदन मोहन बाहेती घोटू 
जोरू के गुलाम 

बहुत बेहया,हम तो भैया, खुद की पोल खोलते हैं 
पत्नी जी के डर के मारे ,कुछ भी नहीं बोलते हैं 

हम तो लल्लू के लल्लू हैं ,पर स्मार्ट घरवाली है 
घर की सत्ता , उसने अपने हाथों रखी संभाली है 
कुछ भी अच्छा होता उसका सारा श्रेय स्वयं लेती 
और जो बुरा ,कुछ हो जाए, सारा ब्लेम हमें देती 
पत्नी जी के आगे पीछे, रहते सदा डोलते हैं 
बहुत बेहया, हम तो भैया खुद की पोल खोलते हैं

हमें उंगलियों पर नचवाती और हम नाचा करते हैं 
खुल्ले आम कबूल कर रहे, हम बीबी से डरते हैं 
उड़ा रही वह निज मर्जी से ,मेहनत कर हम कमा रहे 
हम सब सहते ,खुश हो ,घर में प्रेम भाव तो बना रहे 
यस मैडम,यस मैडम ही हम ,डर कर सदा बोलते हैं 
बहुत बेहया, हम तो भैया ,खुद की पोल खोलते हैं

हर घर का बस हाल यही है ,मर्द बहुत कुछ सहते हैं 
बाहर शेर,मगर बन भीगी ,बिल्ली घर पर रहते हैं 
प्यार का लॉलीपॉप खिलाकर, बीबी उन्हें पटाती है 
ऐसा जादू टोना करती ,मनचाहा करवाती है 
घुटते रहते हैं मन ही मन ,पर मुंह नहीं खोलते हैं 
बहुत बेहया ,हम तो भैया, खुद की पोल खोलते हैं

मदन मोहन बाहेती घोटू 

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