पृष्ठ
एक सन्देश-
pradip_kumar110@yahoo.com
इस ब्लॉग से जुड़े
शनिवार, 30 सितंबर 2023
सोमवार, 25 सितंबर 2023
चिर यौवन
बचपन ,यौवन,वृद्धावस्था ,
ये जीवन का क्रम सदा रहे
पर हर कोई करता प्रयास,
वह जब तक जिये ,जवां रहे
खा लेने भर से च्यवनप्राश
हर दम ना टिकता है यौवन
या शिलाजीत का सेवन कर
होता मजबूत शिला सा तन
क्षरण नियम है प्रकृति का ,
होती है उम्र जब साठ पार
आता है बुढ़ापा हर तन पर ,
दस्तक देता है बार-बार
पर वृद्धावस्था से तुमको
जो टक्कर लेकर जीना है
हंसते-हंसते मरते दम तक
यौवन का अमृत पीना है
तो अपना हृदय जवान रखो
तुम अपनी सोच जवान रखो
मत देखो श्वेत केश ,मन में,
तुम यौवन का तूफान रखो
मन में फुर्तीले होने से ,
फुर्तीला हो जाता तन है
डर दूर बुढ़ापा भग जाता,
कायम रहता चिर यौवन है
रहते उमंग और जोश भरे ,
जो खुश रहते हंसते गाते
मन से जवान वो रहते हैं
चिर युवा वही है कहलाते
मदन मोहन बाहेती घोटू
जीवन में सफलता के सूत्र
कई समस्यायें जीवन की हल होंगी
बस थोड़ा व्यवहार कुशल हो जाओ तुम
कोई से जब मिलो ,मिलो अपनेपन से, और गर्म जोशी से हाथ मिलाओ तुम
जब कुछ बोलो,बोल तुम्हारे मीठे हो,
होठों पर मुस्कान ,खुशी हो चेहरे पर
दीन दुखी की सेवा और मदद करने,
अपने तन और मन से सदा रहो तत्पर
मिलो बुजुर्गों से तो उनको नमन करो,
बच्चों से मिल,प्यार उन्हे तुम जतलाओ
हो गंभीर करो सब बातें बिजनेस की,
अपना दृष्टिकोण अच्छे से समझाओ
होगा अगर आचरण जो व्यवहार कुशल
सदा सफलता पाओगे तुम जीवन में
ज्यादा मुंह फट होना भी है ठीक नहीं ,
कुछ बातों को रखना पड़ता है मन में
बिगड़ी बातें बनती *सौरी*कहने से ,
और*थैंक यू *सुन खुश हो जाताअगला
नारीशक्ति की सदा प्रशंसा करने से,
तुम्हारा जीवन में होगा बहुत भला
क्या कब करना सोच समझकर निर्णय लो
परिस्थिति को पहले देखोभालो तुम
ये सब सूत्र सफलता के हैं जीवन में,
सुखी रहोगे अगर इन्हें अपनालो तुम
मदन मोहन बाहेती घोटू
मन बूंदी बूंदी हो जाता
तुम रसगुल्ले सी रसभीनी ,
मीठी बातें जब करती हो
तो गरम चासनी में डूबा,
मन बूंदी बूंदी हो जाता
जब तन की गरम कढ़ाही में
वह दूध खौलता ,गरम-गरम,
मीठी रबड़ी सा स्वाद भरा,
यह मन बासूंदी हो जाता
जब गोल-गोल टेढ़े मेढे,
करती हो कई बहाने तुम
आता है स्वाद जलेबी का,
मैं बड़े चाव से खाता हूं
जब तुम शरमाती गालों पर,
तो गाजर के हलवे जैसी,
छा जाती गुलाबी रंगत है
मैं स्वाद अनोखा पाता हूं
मुंह खोल,अधर कर चौड़े से
जब गटकाती पानीपुरियां ,
मुझको लगता है चुम्बन का
यह तुम्हारा आवाहन है
जब चाट, चाट चटकारे भर ,
तुम सीसी, सीसी करती हो
तो तुम्हें देख कर जाने क्या
सोचा करता मेरा मन है
तुम डोमिनो के पिज़्ज़ा सी,
या मैकडॉनल्ड की बर्गर हो
तुम मोमो जैसी स्वाद भरी ,
या जैसे गरम समोसा हो
तुम हो आलू की टिक्की सी
या छोले और भटूरे सी
इडली सी नरम मुलायम तुम
स्वादिष्ट मसाला डोसा हो
तुम हो वेजिटेबल पुलाव
या कभी सयानी बिरियानी,
मैं दाल माखनी के जैसा
मिल-जुल कर स्वाद बढ़ाता हूं
तुम मधुर मधुर पकवान डियर
मैं खानपान शौकीन बहुत
हर स्वादिष्ट व्यंजन का मैं ,
तुममें स्वाद पा जाता हूं
मदन मोहन बाहेती घोटू
भजन
मेरे बदल गए घनश्याम, द्वारका जाकर के
वो तो भूल गए ब्रजधाम,द्वारका जाकर के
भूले प्यार नंद बाबा का
लाड़ दुलार, जसोदा मां का
भूल गए माखन का चुराना
बंसी वट में धेनु चराना
भूले जमुना में स्नान ,द्वारका जाकर के
मेरे बदल गए घनश्याम,द्वारका जाकर के
बाल सखा ,सब यार को भूले
गोपी ग्वाल का प्यार वो भूले
भूल गए बंसी का बजाना
जमना तट पर रास रचाना
ना रहे पहले जैसे श्याम, द्वारका जाकर के
मेरे बदल गए घनश्याम,
द्वारका जाकर के
छोड़ बांसुरी, वो गिरधारी
बन गए चक्र सुदर्शन धारी
भूले राधा प्रीत सुहानी
अब हैं आठ आठ पटरानी
उनका ऊंचा होगया नाम,द्वारका जाकर के
मेरे बदल गए घनश्याम ,
द्वारका जाकर के
मीठा जमुना का जल छोड़ा
सागर के संग नाता जोड़ा
अब ना मोर मुकुट वो पहने
सर पर राज मुकुट और गहने
हुआ द्वारकाधीश है नाम द्वारका जाकर के
मेरे बदल गए घनश्याम ,
द्वारका जाकर के
मदन मोहन बाहेती घोटू
शुक्रवार, 22 सितंबर 2023
गुरुवार, 21 सितंबर 2023
शौक जवानी वाले
है तन में थोड़ी कमजोरी ,
और कई बीमारी पाले हैं
हो गई बयांसी उम्र मेरी ,
पर शौक जवानी वाले हैं
घर की रोटी और दाल छोड़,
बाहर होटल में खाते हैं
या फिर स्विगी को ऑर्डर दे,
पिज़्ज़ा बर्गर मंगवाता है
है गरम कचोरी मनभाती ,
या खाते छोले भटूरे हैं
रबड़ी केऔर जलेबी के ,
हम अब भी आशिक पूरे हैं
दो घूंट कभी गटका लेते,
तो हो जाते मतवाले हैं
हो गई बयांसी उम्र मेरी
पर शौक जवानी वाले हैं
अब भी हम पहना करता हैं
कपड़े रंगीन और चटकीले
पूरे फैशन के मारे हैं,
और शोक हमारे रंगीले
सागर तट पर सैर सपाटा ,
हमको बहुत सुहाता है
लहरों के संग,अठखेली में
मजा बहुत ही आता है
अपने मन को बहलाने के
यह सब अंदाज निराले हैं
हो गई बयांसी उम्र मेरी ,
पर शौक जवानी वाले हैं
अब भी आशिक मिजाज है दिल
जो देख हुस्न, ललचाता है
पाने को साथ जवानी का ,
मन तरसा तरसा जाता है
मन देश विदेश घूमने को
अब भी आतुर रहता हरदम
बस यूं ही उछालें भरता है,
हालांकि बचा ना कुछ दम खम
खुद को जवान समझने की,
हम गलतफहमियां पाले हैं
हो गई बयांसी उम्र मेरी ,
पर शौक जवानी वाले हैं
मदन मोहन बाहेती घोटू
आती है मां याद तुम्हारी
तेरी सूरत प्यारी प्यारी
आती है मां याद तुम्हारी
तूने जन्म दिया और पाला
अपने हाथों खिला निवाला
दूध पिलाया ,चिपका छाती
लोरी गा तू मुझे सुलाती
मैं रोया , तुमने पुचकारा
स्वार्थहीन था प्यार तुम्हारा
मेरी बाल सुलभ कीड़ा पर,
बार-बार जाती बलिहारी
आती है मां याद तुम्हारी
तूने अक्षर ज्ञान कराया
चलना,उंगली पकड़ सिखाया
जब भी गिरा ,उठाया तूने
ढाढस दे,समझाया तूने
हर सुख दुख में साया तेरा
हरदम बना ,सहायक मेरा
तेरे ही आशीवादों से,
मैं जीवन में बड़ा अगाड़ी
आती है मां याद तुम्हारी
आज तू नहीं ,तेरी यादें
रखती परिवार को बांधे
सब बेटी बेटे तुम्हारे
हैं संपन्न ,सुखी है सारे
अब भी वरदहस्त तुम्हारा
देता हमको सदा सहारा
तेरी शिक्षा ,तेरी दिक्षा,
सदा प्रेरणा बनी हमारी
आती है मां याद तुम्हारी
मदन मोहन बाहेती घोटू
रविवार, 17 सितंबर 2023
बोलो श्याम श्याम श्याम
मेरे मन के अंदर श्याम
मेरे तन के अन्दर श्याम
मेरे रोम रोम में श्याम
जपता हूं मैं सुबह शाम
बोलो श्याम श्याम श्याम
बाबा नंद जी के दुलारे
मैया जसमत के तुम प्यारे
कभी गोकुल गांव के ग्वाले
वन में धेनु चराने वाले
बालक रूप धरे भगवान
बोलो श्याम श्याम श्याम
कभी माखन हो चुराते
कभी गोपी को सताते
कभी बांसुरी हो बजाते
जमुना तट पर रास रचाते
ऐसे प्यारे तुम घनश्याम
बोलो श्याम श्याम श्याम
तुम हो बांके बहुत बिहारी
तुम बनवारी,किशन मुरारी
कभी हो मोर मुकुट के धारी
सोलह कला के अवतारी
कैसी सुंदर छवि अविराम
बोलो श्याम श्याम श्याम
जय जय कृपासिंधु सब लायक
सुमिरन तुम्हारा सुखदायक
तुम हो महाभारत के नायक
जय जय गीता ज्ञान के गायक
जाकर बसे द्वारका धाम
बोलो श्याम श्याम श्याम
जय जय चक्र सुदर्शन धारी
मन में बसी है छवि तुम्हारी
कितनी सुन्दर कितनी प्यारी
दर्शन दे दो ओ गिरधारी
तुमको कोटि कोटि प्रणाम
बोलो श्याम श्याम श्याम
मदन मोहन बाहेती घोटू
बुधवार, 13 सितंबर 2023
बोल्ड ब्यूटी तीन चौके
एक
नजर तिरछी डाल हम पर, हमको बोअर कर दिया
जो खुला था ,बंद उनने ,दिल का डोअर कर दिया
टेढ़े मेढ़े दांत दिखला, मुस्कुराए इस तरह,
टेस्ट मुंह का था जो मीठा, वह भी सोअर
कर दिया
दो
था बदन फुटबॉल सा हम देख आउट हो गए
बोल्ड ब्यूटी देख , बोअर, बिना डाउट हो गए
एचकतानी आंख थी और कान ऐसे लटकते ,
भिगोने से चाय में जैसे कि बिस्किट हो गए
तीन
नाक थी उनकी निराली,नल की टोटी की तरह
फेस था उनका जड़ाऊ ,जली रोटी की तरह
चलते थे तो झूलती थी ,हाय उनकी चोटियां ,
सूखती जैसे हवा में ,हो लंगोटी की तरह
मदन मोहन बाहेती घोटू
गुरुवार, 7 सितंबर 2023
हलचल अन्य ब्लोगों से 1-
-
भारतीय न्याय संहिता 2023 - धारा 2 (1)-भाग - 3 - आज हम आपको बताने जा रहे हैं भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 2 के सम्बन्ध में. धारा 2 को 39 उपधाराओं में विभाजित किया गया है जिनमे भारतीय द...2 घंटे पहले
-
1413-अंजू निगम की कविताएँ - *अंजू निगम **की कविताएँ * *1-बरखा* बरखा की बूँदों ने जब भी फैलाया था अपना आँचल और जब बिखर रहे थे रंग मेहँदी के, मेरे मन के आँगन में तब लगा...14 घंटे पहले
-
पंछी इक दिन उड़ जाएगा - पंछी इक दिन उड़ जाएगा जरा, रोग की छाया डसती मृत्यु, मुक्ति की आस बँधाये, पंच इंद्रियाँ शिथिल हुई जब जीवन में रस, स्वाद न आये !कुछ करने की चाह न जागे फिर ...22 घंटे पहले
-
राजनीति नारी का अपमान न करे - भाजपा और अंधभक्त आज सत्ता के नशे में चूर नजर आ रहे हैं और इसका जीता जागता प्रमाण वे स्वयं प्रस्तुत कर रहे हैं. विपक्ष के नेताओं को लेकर भाजपा के बड़े ब...1 दिन पहले
-
Funny videos 🤣 - Funny videos 🤣 -- Vous recevez ce message, car vous êtes abonné au groupe Google Groupes "Fun funn". Pour vous désabonner de ce groupe et ne plus recev...3 दिन पहले
-
हनुमान जन्मोत्सव पर अशेष शुभकामनाएं - हनुमान जन्मोत्सव पर अशेष शुभकामनाएं हनुमान जी और अंगद जी दोनों ही समुद्र लाँघने में सक्षम थे, फिर पहले हनुमान जी लंका क्यों गए? "अंगद कहइ जाउँ मैं पार...4 दिन पहले
-
श्रीमद्भगवद्गीता के 36 तत्त्व - श्रीमद्भगवद्गीता के मूल तत्त्व ⤵️ 1️⃣ 2️⃣ 3️⃣ 4️⃣ ब्रह्म महाभूत कर्म कर्मयोग ईश्वर तन्मात्र ज्ञान ज्ञानयोग परमात्मा बुद्धि भाव समत्वयोग ...4 दिन पहले
-
774. नैनों से नीर बहा (19 माहिया) - नैनों से नीर बहा (19 माहिया) *** 1. नैनों से नीर बहा किसने कब जाना कितना है दर्द सहा। 2. मन है रूखा-रूखा यों लगता मानो सागर हो ज्यों सूखा। 3. दुनिया खे...2 हफ़्ते पहले
-
एक अनूठी फ़िल्म- 'नज़र अंदाज़'. - 37° C, तापमान से बचने के लिये,, कमरे के परदे खींचे, A.C. चलाया और ओटीटी प्लेटफार्म पर कोई फ़िल्म खोजने लगे. इत्तेफ़ाक़ से एक फ़िल्म का ट्रेलर चलने लगा, और...3 हफ़्ते पहले
-
'रामदरश मिश्र : सेलेक्टेड पोएटरी, फिक्शन एंड नॉन-फिक्शन' का हुआ लोकार्पण - ------------------------------ 16 मार्च, 2024, नई दिल्ली | हिन्दी के वरिष्ठ साहित्यकार रामदरश मिश्र के शताब्दी वर्ष के अवसर पर उनके द्वारा रचित सभी विधाओं...5 हफ़्ते पहले
-
जगह दे दो मुझे अपने आंगन में- संध्या शर्मा - ओ गौरैया! नन्ही सी तुम कितनी खुश थी अपनी मर्जी से चहचहाती थी जब जी चाहे सामर्थ्य भर भरती थी उड़ान छू लेती थी आसमान चहचहाती थी जहां जी ...5 हफ़्ते पहले
-
नर्मदे हर - बेटियों की शादी के बाद से देव धोक लगातार चल रहा है। आते-जाते रास्ते में किसी मंदिर जाते न जाने कब किस किस के सामने बेटियों के सुंदर सुखद जीवन की प्रार्थ...5 हफ़्ते पहले
-
हम सब सो रहे हैं.... - लगता हैजैसे इस मतलबी दुनिया मेंअपने भूतऔर भविष्य को भूल करसिर्फ वर्तमान को ढो रहे हैंगहरी नींद के आगोश मेंहम सब सो रहे हैं।नहीं मतलब इससे कि क्या हो रहा है...1 माह पहले
-
-
हाथी तो हाथी होता है - हाथी तो हाथी होता है । जंगल का साथी होता है । हरदम उसकी मटरगशतियां, कभी खेत में, कभी बस्तियां; कभी नदी के बैठ किनारे, देखा करता है वो कश्तियां । कभी हि...1 माह पहले
-
महिला दिवस विशेष १- भारतीय सिनेमा के निर्माण में महिलाओं की भूमिकाएँ - *भारतीय सिनेमा के निर्माण में महिलाओं की पार्श्व भूमिकाएँ – ऋता शेखर ‘मधु’* सिनेमा को सबसे लोकप्रिय कला माध्यम के रूप में देखा जाता है। एक वक्त था जब भा...1 माह पहले
-
'साहित्य' अलग है, 'भाषा' अलग है - भाषा में होता है ज्ञानऔर...अपना ज्ञान भी होता है भाषा काछोटे शब्दों में कहिए तोभाषा यानिज्ञान भीन मौन हैभाषाऔर न हीज्ञान मौन हैएक पहचान हैभाषा...जो अपने आ...2 माह पहले
-
-
बसंत के आने उम्मीद... - हर उस जगह से तुम लापता हो गए जहां मैं पहुंच सकती थी न सिर्फ पहुंचती बल्कि आवाज भी लगाती कि ठहरो, जरा एक नजर देख लो शायद मन का कोई छोटा सा ही हिस्सा अभी...2 माह पहले
-
जो मेरे अन्दर से गुजरता है - जाने कौन है वो जो मेरे अन्दर से गुजरता है थरथरायी नब्ज़ सा खामोश रहता है मैं उसे पकड़ नहीं सकती छू नहीं सकती एक आखेटक सा शिकार मेरा करता है जाने क...2 माह पहले
-
ओ साथी मेरे - मुझसे रुकने को कह चल पड़ा अकेले सितारों की दुनिया में जा छिपा कहीं ... वादा किया था उससे -कहा मानूंगी राह तक रही हूँ ,अब तक खड़ी वहीं... वो अब हमेशा के लिए म...2 माह पहले
-
लोहे का घर 75 (संस्मरण) - लोहे का घर का घर मेरा पीछा नहीं छोड़ता या मैने लोहे के घर को अपना आवास बना लिया है, नहीं पता। अभी मुंबई, गोवा, पुणे घूमकर 10 दिनों में घर आया ही था कि आज ...3 माह पहले
-
रामलला का करते वंदन - कौशल्या दशरथ के नंदन आये अपने घर आँगन, हर्षित है मन पुलकित है तन रामलला का करते वंदन. सौगंध राम की खाई थी उसको पूरा होना था, बच्चा बच्चा थ...3 माह पहले
-
जीने का जज़्बा - *अरमाँ की तरह जो संग चले * *बाहों में वो कुछ यूँ भर ले * *जैसे कोई अपना होता है * *जैसे कोई सपना होता है * *कानों में वो कुछ यूँ कहता * *धरती अपनी ,दु...3 माह पहले
-
गुलामी गीत - अति उन्माद अराजकता को जन्म देता है समय रख रहा है आधारशिला कल की, परसों की बरसों की इस दौर में सत्य का घूँट हलक से उतरा नहीं करता तुम बोलोगे मारे ...3 माह पहले
-
कल्पना - आज मैं जो कुछ भी लिखने जा रही हूँ वह एक ऐसी घटना है जिसे यदि आप जीना चाहते हैं तो अपनी कल्पना शक्ति को बढ़ाईये. जितना ज्यादा आप अपनी कल्पना के घोड़े दौड़ाए...3 माह पहले
-
12th Fail : सपनों को कैश कराने का जरिया या प्रेरणा का स्रोत? - *12th Fail : सपनों को कैश कराने का जरिया या प्रेरणा का स्रोत?* विधु विनोद चोपड़ा की हालिया रिलीज़ फिल्म "12th फेल" एक प्रेरणादायक कहानी है जो एक ऐसे लड़के...3 माह पहले
-
वर्तमान की वह पगडंडी जो इस देहरी तक आती थी..... - *युद्ध : बच्चे और माँ (कविता)* साहित्य अकादमी के वार्षिक राष्ट्रीय बहुभाषीकवि सम्मेलन की चर्चा मैंने अभी पिछली बार की थी। वहाँ काव्यपाठ में प्रस्तुत अपनी र...6 माह पहले
-
अवतरो धरा पर, हे नव शिशु ! - * अवतरो धरा पर, हे नव शिशु अँधियारे के कठिन प्रहरों में, तमस् की कारा में जहाँ युग तुम्हारी प्रतीक्षा में लोचन बिछाये है.सद्भावों के पक्ष मे दैवी शक्...7 माह पहले
-
इस सप्ताह में ही भूकम्प के कई झटकों के साथ साथ एक बड़े भूकम्प के आने की आशंका है !! - Bhukamp kab aayega इस सप्ताह में ही भूकम्प के कई झटकों के साथ साथ एक बड़े भूकम्प के आने की आशंका है !! 21वीं सदी के शुरू होते ही इंटरनेट पर हिंदी ...7 माह पहले
-
चंदा मामा पास के ........ - भारतीय समयानुसार छः बज कर चार मिनट का कर रहे थे इन्तज़ार , दिल धड़क रहे थे ज़ार ज़ार अभी भी नहीं गयी है आदत बचपन की जब भी आना होता था किसी का भी परिण...8 माह पहले
-
डॉल्बी विजन देखा क्या? - इससे पहले, अपने पिछले आलेख में मैंने आपसे पूछा था – डॉल्बी एटमॉस सुना क्या? यदि आपने नहीं सुना, तो जरूर सुनें. अब इससे आगे की बात – डॉल्बी विजन देखा क...8 माह पहले
-
चन्द्रशेखर आज़ाद - चंद्रशेखर "आज़ाद" ************** उदयाचल से अस्तातल तक इसकी जय जयकार रही, शिक्षा और ज्ञान की इस पर बहती सतत बयार रही, वैभव में दुनियाँ का कोई देश न इसका सानी...10 माह पहले
-
-
अनायास - - * नयन अनायास भर आते हैं कभी, यों ही बैठे बैठे! नहीं , कोई दुख नहीं , कोई हताशा नहीं , शिकायत भी किसी से नहीं कोई. क्रोध ? उसका सवाल ही नहीं उठता ...11 माह पहले
-
क्यों बदलूं मैं तेवर अपने मौसम या दस्तूर नहीं हूँ - ग़ज़ल मंज़िल से अब दूर नहीं हूँ थोड़ा भी मग़रूर नहीं हूँ गिर जाऊँ समझौते कर लूँ इतना भी मजबूर नहीं हूँ दूर हुआ तू मुझसे फिर भी तेरे ग़म से चू...1 वर्ष पहले
-
Measuring Astronomical distances in Space - क्या आप जानते हैं कि दूरी कैसे मापी जाती है? बिल्कुल!!! हम सब जानते हैं, है ना?मान लीजिए कि मैं एक नोटबुक को मापना चाहती हूं, मैं एक पैमाना/रूलर लूंगी, एक ...1 वर्ष पहले
-
भकूट - कूट-कूट कर भरा हुआ प्रेम.. - सबको भकूट दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। आप सब भी हैरान हो रहे होंगे कि आज तो वैलेंटाइन डे है, हैप्पी वैलेंटाइन डे बोलना होता है, यह भकूट दिवस क्या और कैसा। त...1 वर्ष पहले
-
इल्लियाँ और तितलियाँ - बेचैन हैं कुछ इल्लियाँ तितलियाँ बन जाने को कर रही हैं पुरज़ोर कोशिश निकलने की कैद से अपने कोकून की। वे काट कर चोटियाँ, लहरा रही हैं , आज़ादी का परचम। गोलियाँ ...1 वर्ष पहले
-
संवाद - एकांत में संवाद ************* उदास काले फूलों वाली रात उतरी पहाड़ो की देह पर जैसी सरकती हैं जमी पर असंख्य लाल चीटियां झूठी हँसी लिए स्नोड्राप बह रहे हैं एक ब...1 वर्ष पहले
-
कुछ तो - *कुछ तो * सोचती हूं खोल दूं बचपन की कॉपियां और निकाल दूं सब कुछ जो छुपाती रही समय और समय की नजाकत के डर से निकालूँ वह इंद्रधनुष और निहारूं उसे ज...1 वर्ष पहले
-
ज़िन्दगी पुरशबाब होती है - क्या कहूँ क्या जनाब होती है जब भी वो मह्वेख़्वाब होती है शाम सुह्बत में उसकी जैसी भी हो वो मगर लाजवाब होती है उम्र की बात करने वालों सुनो ज़िन्दगी पुरशबाब ह...1 वर्ष पहले
-
Boond - Samay ki dhara bahati hai Nirantar abadhit. Main to usability ek choosing boond Jo ho jayegi jalashay men samarpit. Ya dhara me awashoshit. N...1 वर्ष पहले
-
जाले: घोड़ा उड़ सकता है - जाले: घोड़ा उड़ सकता है: घोड़ा उड़ सकता है. पिछली शताब्दी के दूसरे दशक में जब मुम्बई-दिल्ली रेल लाइन की सर्वे हो रही थी तो एक अंग्रेज इंजीनियर ने कोटा व सवाई...1 वर्ष पहले
-
नाच नचावे मुरली - क्या-क्या नाच नचावे मुरली, जहां कहीं बज जावे मुरली। मीठी तान सुनावे मुरली, हर मन को हर्षावे मुरली , जिसने भी सुनली ये तान, नहीं रहे उसमें अभिमान। मुरली तेर...1 वर्ष पहले
-
"संविदा कर्मियों का दर्द" @गरिमा लखनवी - *संविदा कर्मियों का दर्द* *@**गरिमा लखनवी* *--* *कोई क्यों नहीं समझता* *दर्द हमारा* *हम भी इंसान हैं* *योगदान भी है हमारा* *--* *सरकारी हो या निजी* * कैसा भ...1 वर्ष पहले
-
शब्द से ख़ामोशी तक – अनकहा मन का (२५) - * ये जीवन कढ़ाई में उबलती घनी मलाई की तरह है जिसमें हमारे सदगुण व अवगुण ( विकार, विचार, अच्छाई, बुराई, मोह, तृष्णा, वि...1 वर्ष पहले
-
किताबों की दुनिया - 257 - तू वही नींद जो पूरी न हुई हो शब-भर मैं वही ख़्वाब कि जो ठीक से टूटा भी न हो * मेरी आंखे न देखो तुमको नींद आए तो सो जाओ ये हंगामा तो इन आँखों में शब भर होने...1 वर्ष पहले
-
-
Tara Tarini Maha Shaktipeeth. - *Tara Tarini Maha Shaktipeeth* *गंजम जिले में पुरुषोत्तमपुर के पास रुशिकुल्या नदी के तट पर कुमारी पहाड़ियों पर तारा-तारिणी ओडिशा के सबसे प्राचीन शक्तिपीठों...2 वर्ष पहले
-
मशहूर कथाएं : काव्यानुवाद - *दो बैलों की कथा :मुंशी प्रेमचंद)* (1) बछिया के ताऊ कहो, कहो गधा या बैल। हीरा मोती मे मगर, नहीं जरा भी मैल। नही जरा भी मैल, दोस्ती बैहद पक्की। मालिक झूरी म...2 वर्ष पहले
-
अनूठा रहस्य प्रकृति का... - रात भर जागकर हरसिंगार वृक्ष उसकी सख्त डालियों से लगे नरम नाजुक पुष्पों की करता रखवाली कि नरम नाजुक से पुष्प सहला देते सख्त वृक्ष के भीतर सुकोमल...2 वर्ष पहले
-
उद्विग्नता - जीवन की उष्णता अभी ठहरी है , उद्विग्न है मन लेकिन आशा भी नहीं कर पा रही इस मौन के वृत्त में प्रवेश बस एक उच्छवास ले ताकते हैं बीता कल , निर्निमे...2 वर्ष पहले
-
क्षणिका - हां सच है देहरी पार की मैंने वर्जनाओं की रुढ़िवाद की पाखंड की कुंठा की .... ओह सभ्य समाज ....! तुम्हारी ओर से सिर्फ घृणा .? कहो इतने नाजुक कब से हो लि...2 वर्ष पहले
-
महिला दिवस - विशेष - मैंने माँ से पहचाना एक स्त्री होना कितना दुसाध्य है कोई देवता हो जाने से पहचाना अपनी बहिनों से कैसे वो जोड़े रखती हैं एक घर को दूसरे से सीख पाया अपनी बेटियो...3 वर्ष पहले
-
चुप गली और घुप खिडकी - एक गली थी चुप-चुप सी इक खिड़की थी घुप्पी-घुप्पी इक रोज़ गली को रोक ज़रा घुप खिड़की से आवाज़ उठी चलती-चलती थम सी गयी वो दूर तलक वो देर तलक पग-पग घायल डग भर प...3 वर्ष पहले
-
गलती से डिलीट हो गए मेरे पुराने पोस्टों की पुनर्प्राप्ति : इंटरनेट आर्काइव के सौजन्य से - दो वर्ष पहले ब्लॉग का टेम्पलेट बदलने की की कोशिश रहा था। सहसा पाया कि कुछ पोस्ट गए। क्या हुआ था, पूरा समझ में नहीं आया। बाद में ब्लॉगर वालों को भ...3 वर्ष पहले
-
Pooja (laghukatha) - पूजा " सुनिये ! ", पत्नी ने पति से कहा " जी कहिये", पति ने पत्नी की तरह जवाब दिया तो पत्नी चिढ़ गयी. पति को समझ आ गया और पत्नि से पूछा कि क्या बात है...3 वर्ष पहले
-
अलसाई शाम तले - यूँ ही एल अलसाई शाम तले बैठें थे कभी दो चार जब पल मिले मदहोश शाम ढल गयी यूँ ही आलस में तकदीर में जाने कब हों फिर ये सिलसिले ..3 वर्ष पहले
-
-
लाॅकडाउन 2 - मोदी जी....सुनो:- धीरे धीरे ही सही बीते इक्किस वार सोम गया मंगल गया कब बीता बुधवार कब बीता बुधवार हो गया अजब अचंभा लगता है इतवार हो गया ज्यादा लंबा दाढ़ी भी ...4 वर्ष पहले
-
-
Gatyatmak Jyotish app - विज्ञानियों को ज्योतिष नहीं चाहिए, ज्योतिषियों को विज्ञान नहीं चाहिए।दोनो गुटों के झगडें में फंसा है गत्यात्मक ज्योतिष, जिसे दोनो गुटों के मध्य सेतु ...4 वर्ष पहले
-
2019 का वार्षिक अवलोकन (अट्ठाईसवां) - खत्म होनेवाला है हमारा इस साल का सफ़र। 2020 अपनी गुनगुनी,कुनकुनी आहटों के साथ खड़ा है दो दिन के अंतराल पर। चलिए इस वर्ष को विदा देते हुए कुछ बातें कहती...4 वर्ष पहले
-
-
इंतज़ार और दूध -जलेबी... - वोआते थे हर साल। किसी न किसी बहाने कुछ फरमाइश करते थे। कभी खाने की कोई खास चीज, कभी कुछ और। मैं सुबह उठकर बहन को फ़ोन पे अपना वह सपना बताती, यह सोचकर कि ब...4 वर्ष पहले
-
गुड्डू आओ ... गोलगप्पे खाएँ .... - गुड्डू आओ ... चलें .. गोलगप्पे खाएँ कुछ खट्टे-मीठे .. तो कुछ चटपटे-चटपटे खाएँ चलो .. चलें ... अपने उसी ठेले पे .. स्कूल के पास ... आज .. जी भर के ... मन भ...4 वर्ष पहले
-
cara mengobati herpes di kelamin - *cara mengobati herpes di kelamin* - Penyakit herpes genital baik pada pria maupun pada wanita kerap menjadi permasalahan tersendiri, karena resiko yang le...5 वर्ष पहले
-
-
आइने की फितरत से नफरत करके क्या होगा - आईने की फितरत से नफरत करके क्या होगा किरदार गर नहीं बदलोगे किस्सा कैसे नया होगा हर बार आईना देखोगे धब्बा वही लगा होगा आईने लाख बदलो सच बदल नहीं सकते ज...6 वर्ष पहले
-
शर्मसार होती इंसानियत.. - *इंसानियत का गिरता ग्राफ ...* आज का दिन वाकई एक काले दिन के रूप में याद किया जाना था. सबेरे जब समाचार पत्रों में इंसानियत को शर्मसार कर देने वाले इस समाचा...6 वर्ष पहले
-
कूड़ाघर - गैया जातीं कूड़ाघर रोटी खातीं हैं घर-घर बीच रास्ते सुस्तातीं नहीं किसी की रहे खबर। यही हाल है नगर-नगर कुत्तों की भी यही डगर बोरा लादे कुछ बच्चे बू का जिनपर...6 वर्ष पहले
-
एक अधूरी [ पूर्ण ] कविता - घर परिवार अब कहाँ रह गए है , अब तो बस मकान और लोग बचे रहे है बाकी रिश्ते नाते अब कहाँ रह गए है अब तो सिर्फ \बस सिर्फ नाम बचे है बाकी तीज त्योहार कहाँ ...6 वर्ष पहले
-
लिखते रहना ज़रूरी है ! - पिछले कई महीनों में जीवन के ना जाने कितने समीकरण बदल गए हैं - मेरा पता, पहचान, सम्बन्ध, समबन्धी, शौक, आदतें, पसंद-नापसंद और मैं खुद | बहुत कुछ नया है लेकिन...6 वर्ष पहले
-
इन आँखों में बारिश कौन भरता है .. - बेतरतीब मैं (३१.८.१७ ) ` कुछ पंक्तियाँ उधार है मौसम की मुझपर , इस बरस पहले तो बरखा बरसी नहीं ,अब बरसी है तो बरस रही ,शायद ये पहली बारिशों का मौसम...6 वर्ष पहले
-
सवाल : हम आपदाओं में फेल क्यों? जवाब में यह हकीकत पढि़ए - राजस्थान के एक हिस्से में बाढ़ का कहर है और लोग आपदा से घिरे हैं। प्रशासनिक अमला इतना असहाय नजर आ रहा है। आपदाएं हमेशा आती है और सरकारी तंत्र लाचार नजर आ...6 वर्ष पहले
-
ब्लॉगिंग : कुछ जरुरी बातें...3 - पाठक हमारे ब्लॉग पर हमारे लेखन को पढने के लिए आता है, न कि साज सज्जा देखने के लिए. लेखन और प्रस्तुतीकरण अगर बेहतर होगा तो यकीनन हमारा ब्लॉग सबके लिए लाभदा...6 वर्ष पहले
-
गुरुपूर्णिमा मंगलमय हो - *गुरुपूर्णिमा मंगलमय हो * लगभग दो वर्ष के लंबे अंतराल के पश्चात् परम श्रद्धेय स्वामीजी संवित् सोमगिरि जी महाराज के दर्शन करने (अभी 1 जुलाई) को गया तो मन भ...6 वर्ष पहले
-
जिन्द्गी - जिन्दगी कल खो दिया आज के लिए आज खो दिया कल के लिए कभी जी ना सके हम आज के लिए बीत रही है जिन्दगी कल आज और कल के लिए. दोस्तों आज मेरा जन्म दिन भ...6 वर्ष पहले
-
हम चाँद को सिक्का बना दुनिया खरीद लेंगे - *हम चाँद को सिक्का बना दुनिया खरीद लेंगेहाँ ! चाँद को सिक्का बना दुनिया खरीद लेंगे* जो रात होगी तो जमी से चाँदी बटोर लेंगे चाँदी की फिर पायल बना लम्हों ...7 वर्ष पहले
-
-
Demonetization and Mobile Banking - *स्मार्टफोन के बिना भी मोबाईल बैंकिंग संभव...* प्रधानमंत्री मोदीजी ने अपनी मन की बात में युवाओं से आग्रह किया है कि हमें कैशलेस सोसायटी की तरफ बढ़ना है औ...7 वर्ष पहले
-
गीत अंतरात्मा के: आशा - गीत अंतरात्मा के: आशा: मैं एक आशा हूँ मेरे टूट जाने का तो सवाल ही नहीं होता मैं बनी रहती हूँ हर एक मन में ताकि हर मन जीवित रह सके मुझे खुद को बचाए ही र...7 वर्ष पहले
-
'जंगल की सैर ' - मेरी पुरुस्कृत बाल कहानी 'जंगल की सैर ' मातृभारती पर। पढ़े और अपनी राय दें http:matrubharti.com/book/5492/7 वर्ष पहले
-
-
पानी की बूँदें - पानी की बूँदे भी, मशहूर हो गई । कल तक जो यूँही, बहती थी बेमतलब, महत्वहीन सी यहाँ वहाँ, फेंकी थी जाती, समझते थे सब जिसके, मामूली सी ही बूँदें, आज वो पहुँच स...7 वर्ष पहले
-
खोया बच्चा..... - आज एक हास्य कविता एक बच्चा रो रहा था , मेले में अनाउंसमेंट हो रहा था , जल्दी आएं जिन का बच्चा हो ले जाएँ | तभी सौ से ज्यादा लोग वहां आते है जल्दी से बच...8 वर्ष पहले
-
-
-
स्वागतम् - मित्रों, सभी को अभिवादन !! बहुत दिनों के बाद कोई पोस्ट लिख रहा हूँ | इतने दिनों ब्लॉगिंग से बिलकुल दूर ही रहा | बहुत से मित्रों ने इस बीच कई ब्लॉग के लि...8 वर्ष पहले
-
बीमा सुरक्षा और सुनिश्चित धन वापसी - कविता - अविनाश वाचस्पति - ##AssuredIncomePlanPolicy निश्चित धन वापसी और बीमा सुविधा संदेह नहीं यह पक्का बनाती है विश्वास विश्वास में ही मौजूद रहती है यह आस धन भी मिलेगा और निडर ...8 वर्ष पहले
-
विंडोज आधारित सिस्टम में गुगल वाइस टाइपिंग - *विंडोज आधारित सिस्टम में गुगल वाइस टाइपिंग* हममें से अधिकांश लोगों को टंकण करना काफी श्रमसाध्य एवं उबाऊ कार्य लगता है और हम सभी यह सेाचते हैं कि व्यक...8 वर्ष पहले
-
Happy Teacher's Day - “गुरु का हाथ” - *पिसते… घिसते… तराशे जाते…* *गिरते… छिलते… लताडे जाते…* *मांगते… चाहते… ठुकराए जाते…* *गुजर जाते हैं चौबीस या इससे ज्यादा साल…* *लगे बचपन से… बहुत लोग फरिश...8 वर्ष पहले
-
-
-
-
हमारा सामाजिक परिवेश और हिंदी ब्लॉग - वर्तमान नगरीय समाज बड़ी तेजी से बदल रहा है। इस परिवेश में सामाजिक संबंध सिकुड़ते जा रहे हैं । सामाजिक सरोकार से तो जैसे नाता ही खत्म हो गया है। प्रत्येक...9 वर्ष पहले
-
ज़िन्दगी का गणित - कोण नज़रों का मेरे सदा सम रहा न्यून तो किसी को अधिक वो लगा घात की घात क्या जान पाये नहीं हम महत्तम हुए न लघुत्तम कहीं रेखा हाथों की मेरे कुछ अधिक वक्र ...9 वर्ष पहले
-
-
कम्बल और भोजन वितरण के साथ "अपंगता दिवस" संपन्न हुआ - *नई दिल्ली: विगत 3 दिसम्बर 2014 दिन-बधुवार को सुबह 10 बजे, स्थान-कोढ़ियों की झुग्गी बस्ती,पीरागढ़ी, दिल्ली में गुरु शुक्ल जैन चैरिटेबल ट्रस्ट (पंजीकृत) दिल...9 वर्ष पहले
-
जून 2014 के बाद की गज़लें/गीत (21) चलो-चलो यह देश बचायें ! (‘शंख-नाद’ से) - (सारे चित्र' 'गूगल-खोज' से साभार) चुपके-खुल कर अमन जलाते | खिलता महका चमन जलाते || अशान्ति की जलती ज्वाला से- सुखद शान्ति का भवन जलाते || हिंसा के दुर्दम प...9 वर्ष पहले
-
झरीं नीम की पत्तियाँ (दोहा-गीतों पर एक काव्य) (14) आधा संसार (नारी उत्पीडन के कारण) (क) वासाना-कारा (vi) कुबेर-सुत | - (सारे चित्र' 'गूगल-खोज' से साभार) दरिद्रता-दुःख-दीनता, निर्धनता की मार ! कितना पीड़ित विश्व में, है आधा संसार !! पुत्र कुबेरों के कई, कारूँ के कुछ लाल ! ज...9 वर्ष पहले
-
-
आहटें ..... - *आज भोर * *कुछ ज्यादा ही अलमस्त थी ,* *पूरब से उस लाल माणिक का * *धीरे धीरे निकलना था * *या * *तुम्हारी आहटें थी ,* *कह नहीं सकती -* *दोनों ही तो एक से...9 वर्ष पहले
-
झाँसी की रानी पर आधारित "आल्हा छंद" - झाँसी की रानी पर आधारित 'अखंड भारत' पत्रिका के वर्तमान अंक में सम्मिलित मेरी एक रचना. हार्दिक आभार भाई अरविन्द योगी एवं सामोद भाई जी का. सन पैंतीस नवंबर उ...9 वर्ष पहले
-
हम,तुम और गुलाब - आज फिर तुम्हारी पुरानी स्मृतियाँ झंकृत हो गई और इस बार कारण बना वह गुलाब का फूल जिसे मैंने दवा कर किताबों के दो पन्नों के भूल गया गया था और उसकी हर पंखुड़िय...9 वर्ष पहले
-
-
गाँव का दर्द - गांव हुए हैं अब खंढहर से, लगते है भूल-भुलैया से। किसको अपना दर्द सुनाएँ, प्यासे मोर पप्या ? आंखो की नज़रों की सीमा तक, शहरों का ही मायाजाल है, न कहीं खे...10 वर्ष पहले
-
-
संघर्ष विराम का उल्लंघन - जम्मू,संघर्ष विराम का उल्लंघनकरते हुए पाकिस्तानी सेना ने रविवार को फिर से भारतीय सीमा चौकियों पर फायरिंग की। इस बार पाकिस्तान के निशाने पर जम्मू जिले के का...10 वर्ष पहले
-
प्रतिभा बनाम शोहरत - “ हम होंगें कामयाब,हम होंगें कामयाब,एक दिन ......माँ द्वारा गाये जा रहे इस मधुर गीत से मेरे अन्तःकरण में नए उत्साह का स्पंदन हो रहा था .माँ मेरे माथे को ...10 वर्ष पहले
-
आवरण - जानती हूँ तुम्हारा दर्प तुम्हारे भीतर छुपा है. उस पर मैं परत-दर-परत चढाती रही हूँ प्रेम के आवरण जिन्हें ओढकर तुम प्रेम से भरे सभ्य और सौम्य हो जाते हो जब ...11 वर्ष पहले
-
OBO -छंद ज्ञान / गजल ज्ञान - उर्दू से हिन्दी का शब्दकोश *http://shabdvyuh.com/* ग़ज़ल शब्दावली (उदाहरण सहित) - 2 गीतिका छंद वीर छंद या आल्हा छंद 'मत्त सवैया' या 'राधेश्यामी छंद' :एक ...11 वर्ष पहले
-
इंतज़ार .. - सुरसा की बहन है इंतज़ार ... यह अनंत तक जाने वाली रेखा जैसी है जवानी जैसी ख्त्म होने वाली नहीं .. कहते हैं .. इंतज़ार की घड़ियाँ लम्बी होती हैं ख़त्म भ...11 वर्ष पहले
-
यार की आँखों में....... - मैं उन्हें चाँद दिखाता हूँ उन्हे दिखाई नही देता। मैं उन्हें तारें दिखाता हूँ उन्हें तारा नही दिखता। या खुदा! कहीं मेरे यार की आँखों में मोतियाबिंद...11 वर्ष पहले
-
आज का चिंतन - अक्सर मैं ऐसे बच्चे जो मुझे अपना साथ दे सकते हैं, के साथ हंसी-मजाक करता हूँ. जब तक एक इंसान अपने अन्दर के बच्चे को बचाए रख सकता है तभी तक जीवन उस अंधकारमय...11 वर्ष पहले
-
-
क्राँति का आवाहन - न लिखो कामिनी कवितायें, न प्रेयसि का श्रृंगार मित्र। कुछ दिन तो प्यार यार भूलो, अब लिखो देश से प्यार मित्र। ……… अब बातें हो तूफानों की, उम्मीद करें परिवर्तन ...12 वर्ष पहले
-
कल रात तुम्हारी याद - कल रात तुम्हारी याद को हम चाह के भी सुला न पाये रात के पहले पहर ही सुधि तुम्हारी घिर कर आई अहसास मुझको कुछ यूँ हुआ पास जैसे तुम हो खड़े व्याकुल हुआ कुछ मन...12 वर्ष पहले
-
HAPPY NEW YEAR 2012 - *2012* *नव वर्ष की शुभकामना सहित:-* *हर एक की जिंदगी में बहुत उतार चढाव होता रहता है।* *पर हमारा यही उतार चढाव हमें नया मार्ग दिखलाता है।* *हर जोखिम से ...12 वर्ष पहले
-
"भइया अपने गाँव में" -- (बुन्देली काव्य-संग्रह) -- पं० बाबूलाल द्विवेदी - We're sorry, your browser doesn't support IFrames. You can still <a href="http://free.yudu.com/item/details/438003/-----------------------------------------...12 वर्ष पहले
-
अपनी भाषाएँ - *जैसे लोग नहाते समय आमतौर पर कपड़े उतार देते हैं वैसे ही गुस्से में लोग अपने विवेक और तर्क बुद्धि को किनारे कर देते हैं। कुछ लोगों का तो गुस्सा ही तर्क...12 वर्ष पहले
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-