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रविवार, 16 दिसंबर 2012

गम लिया करते हैं


दाव में रखकर अपनी जिंदगी को हर वक़्त हर घड़ी,
सहम-सहम के लोग आज ये जिंदगी जिया करते हैं |

सौ ग्राम दिमाग के साथ दस ग्राम दिल भी नहीं रखते लोग,
विरले हैं जो आज भी हर फैसला दिल से किया करते हैं |

बच्चे को आया के हवाले कर, पिल्ले को रखते हैं गोद में,
कहते हैं आज के बच्चे माँ-बाप का साथ नहीं दिया करते हैं |

एक दिन फेंकी थी तुमने जो चिंगारी मेरे घर की ओर,
आग बना कर उसे हम आज भी हवा दिया करते हैं |

अपनी अपनी कर के जी लेते हैं जिंदगी किसी तरह,
स्वार्थ की बनी चाय ही सब हर वक़्त पिया करते हैं |
अब तो ये चाँद भी आता है लेकर सिर्फ आग ही आग,
फिर क्यों सूरज से शीतलता की उम्मीद किया करते हैं |


सब हैं खड़े यहाँ कतार में जख्म देने के लिए ऐ "दीप",
कोई भरता नहीं हम खुद ही जख्मों को सिया करते हैं |

अपना तो जिंदगी जीने का फंडा ही अलग है ऐ "दीप",
कोशिश रहती खुशियाँ देने की और गम लिया करते हैं |

मंगलवार, 14 अगस्त 2012

एक कतरा लहू का मेरे बस देश के काम आये


नहीं चाहता मखमल के गद्दे में मुझको आराम आये,
नहीं चाहता व्यापार में मेरा कोई बड़ा दाम आये,
चाहत मेरी बड़ी नहीं बस छोटी सी ही है,
एक कतरा लहू का मेरे बस देश के काम आये |
                                          
नहीं चाहता लाखों की लौटरी कोई मेरे नाम आये,
नहीं चाहता खुशियों भरा बहुत बड़ा कोई पैगाम आये,
ख्वाहिश मेरी ज्यादा नहीं बस थोड़ी सी ही है,
एक कतरा लहू का मेरे बस देश के काम आये |

नहीं चाहता मधुशाला में मेरे लिए अच्छा जाम आये,
नहीं चाहता फायदा भरा बहुत बड़ा कोई काम आये,
सपने  मेरे अनेक नहीं बस एक ही तो है,
एक कतरा लहू का मेरे बस देश के काम आये |

नहीं चाहता प्रसिद्धि हो, नाम मेरा हर जुबान आये,
नहीं चाहता जीवन में कोई अच्छा बड़ा उफान आये,
इश्वर से दुआ मेरी बस इतनी सी ही है,
एक कतरा लहू का मेरे बस देश के काम आये |

नहीं कोई देशभक्त बड़ा मैं, नहीं देश का लाल बड़ा,
पर दिल में एक ज्वाला सी है, देश हित करूँ कुछ  काम बड़ा,
भारत माँ के चरणों में नत एक बात मन में आये,
एक कतरा लहू का मेरे बस देश के काम आये |

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