तेरे ईश्क़ में जालिम बदनाम हो गए |
सम्मोहन विद्या तूने ऐसी चलाई,
दो पल में हम तेरे गुलाम हो गए |
छोड़ दिया खाना जब याद में तेरे,
दो हफ्तों में ही चूसे हुए आम हो गए |
चुराया था तूने जबसे चैन को मेरे,
रात सजा और दिन मेरे हराम हो गए |
जुदाई तेरी मुझसे जब सही न गई,
खाली कितने जाम के जाम हो गए |
गम में तेरे कुछ इस कदर रोया,
हृदय के भीतर कोहराम हो गए |
सोचता रहा मैं दिन-रात ही तुझे,
खो दिया सबकुछ, बेकाम हो गए |
समझा था मैंने, तुझे सारे तीरथ,
सोचा था तुम ही मेरे धाम हो गए |
पता नहीं क्या-क्या सपने सँजो लिए,
फोकट में ही इतने ताम-झाम हो गए |
चक्कर में तेरे जिस दिन से पड़ा,
उल्टे-पुल्टे मेरे सारे काम हो गए |
फेसबुक में देखा तो हूर थी लगी,
मिला तो अरमाँ मेरे धड़ाम हो गए |
कस जो लिया तूने बाहों में अपने,
लगने लगा जैसे राम नाम हो गए |
एक बार तो मुझको ऐसा भी लगा,
चाहतों के मेरे क्या अंजाम हो गए |
टॉप-अप जो तेरा बार-बार करवाया,
कपड़े तक भी मेरे नीलाम हो गए |
चाहकर तुझको शायद पाप कर लिया,
नरक में जाने के इंतजाम हो गए |
चबाया है तूने ऐसे प्यार को मेरे,
प्यार न हुआ, काजू-बादाम हो गए |
आंसुओं से तूने कुछ ऐसे भिगाया,
बार बार मुझको जुकाम हो गए |
घेरे से छुटकर अब लगता है ऐसे,
आम के आम, गुठलियों के दाम हो गए |
बेपर्दा तो अब हम सरेआम हो गए,
तेरे ईश्क़ में जालिम बदनाम हो गए |