पर्यावरण दिवस पर विशेष
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आओ पर्यावरण बचाएं
जबसे भार्या वरण किया है,
और बंधा वैवाहिक बंधन
मस्ती भरे स्वच्छ जीवन में ,
चिंताओं का बढ़ा प्रदूषण
धुल धूसरित हुई हवाएं,
मुश्किल लेना सांस हो गया
खर्चे है हो गए चोगुने ,
जीवन में अब त्रास हो गया
नित्य नित्य नूतन फरमाईश ,
मेरी जेब प्रदूषित करती
कितनी करे सफाई कोई,
मुश्किल हर दिन दूनी बढ़ती
लोभ मोह और कपट क्रोध का,
इतना कचरा इसमें डाला
निर्मल स्वच्छ धार गंगा की,
आज रह गयी बन कर नाला
मुक्त करें इसको कचरे से ,
निर्मल,सुन्दर, स्वच्छ बनाएं
आओ,पर्यावरण बचाएं
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
बहुत बेहतरीन काव्य रचना .....
जवाब देंहटाएंपढ़ कर अच्छा लगा...