सब कुछ बदल गया दुनिया मे ,
मै ना बदला ,तुम ना बदली
मै तुम पर पहले सा पगला,
और तुम भी पगली की पगली
साइकिल अब कार बन गई,काला फोन बना मोबाइल
और रेडियो ने बन टी वी ,जीत लिया है ,सबका ही दिल
मटके और सुराही फूटे ,अब घर घर मे रेफ्रीजरेटर
ए सी ,पंखे,और अब कूलर,गर्मी मे करते ठंडा घर
लालटेन और दिये बुझ गए ,
अब घर रोशन करती बिजली
सब कुछ बदल गया दुनिया मे ,
मै ना बदला,तुम ना बदली
प्रेमपत्र अब लिखे न जाते,इंटरनेट चेट होती है
आपस मे अब लुल्लू चुप्पू,मीलों दूर,बैठ होती है
इस युग मे ,पति पत्नी ,लेकर,इक दूजे का नाम बुलाते
पर तुम्हारे'ए जी 'ओ जी',अब भी मुझको बहुत सुहाते
मेरे आँगन बरसा करती,
बन कर प्यार भरी तुम बदली
सब कुछ बदल गया दुनिया मे,
मै ना बदला,तुम ना बदली
बेटा बेटी ,बदल गये सब,अपना घर परिवार बसा कर
अपने अपने घर मे खुश है ,कभी कभी मिल जाते आकर
भाई बहन ,व्यस्त अपने मे,सबकी है अपनी मजबूरी
बस अब हम तुम बचे नीड़ मे,और बनाई सब ने दूरी
बंधा हुआ मै तुम्हारे संग ,
और तुम भी मेरे संग बंध ली
सब कुछ बदल गया दुनिया मे,
मै ना बदला ,तुम ना बादली
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।