प्यार की बरसात करदे
छा रहे बादल घनेरे
पास आकर मीत मेरे
घन भले ,बरसे न बरसे ,प्यार की बरसात कर दे
चाँद बादल में छुपा है
मुख तुम्हारा चंद्रमा है
चांदनी में नहा कर हम,सुहानी ये रात कर दें
उष्म मौसम है ,उमस है
बड़ी मन में कशमकश है
पास आओ,साथ मिल कर,पंख फैला कर उड़े हम
मै हूँ पानी ,तुम हो चन्दन
बाँध कर बाहों का बंधन
एक दूजे में समायें, एक दूजे संग जुड़े हम
हर तरफ बस प्यार बरसे
प्रीत की मधु धार बरसे
हवाएं शीतल बहे और हो हरेक मौसम सुहाना
पुष्प विकसे,मुस्कराये
बहारे हर तरफ छाये
और भवरे गुनगुनाये ,प्यार का मादक खजाना
मिलन रस में माधुरी है
जिन्दगी खुशियाँ भरी है
जिन्दगी महके सभी की ,कोई ऐसी बात कर दें
छा रहे बादल घनेरे
पास आकर मीत मेरे
घन भले बरसे न बरसे ,प्यार की बरसात कर दें
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
बड़ी प्यारी रचना है ...
जवाब देंहटाएंबधाई !