जिन्दगी बस ऐसे ही चलती है
शुरू शुरू में बड़ा चाव होता है
मन में एक नया उत्साह होता है
जीवन में छा जाते है नए रंग
नए नए सपने,नई नई उमंग
और फिर धीरे धीरे ,रोज का चक्कर
कभी कभी सुहाता,कभी बड़ा दुःख कर
ढलती है जवानी और उमर है बढ़ जाती
इसी तरह जीने की ,आदत पड़ जाती
कभी कच्ची रहती,कभी दाल गलती
जिन्दगी सारी ,बस ऐसे ही चलती
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
सुन्दर
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