एक सन्देश-

यह ब्लॉग समर्पित है साहित्य की अनुपम विधा "पद्य" को |
पद्य रस की रचनाओ का इस ब्लॉग में स्वागत है | साथ ही इस ब्लॉग में दुसरे रचनाकारों के ब्लॉग से भी रचनाएँ उनकी अनुमति से लेकर यहाँ प्रकाशित की जाएँगी |

सदस्यता को इच्छुक मित्र यहाँ संपर्क करें या फिर इस ब्लॉग में प्रकाशित करवाने हेतु मेल करें:-
kavyasansaar@gmail.com
pradip_kumar110@yahoo.com

इस ब्लॉग से जुड़े

सोमवार, 10 जून 2013

जिन्दगी बस ऐसे ही चलती है

 जिन्दगी  बस ऐसे ही चलती है 

शुरू शुरू में बड़ा चाव होता है 
मन में एक नया उत्साह होता है 
जीवन में छा जाते है नए रंग 
नए नए सपने,नई नई  उमंग 
और फिर धीरे धीरे ,रोज का चक्कर 
कभी कभी सुहाता,कभी बड़ा दुःख कर 
ढलती है जवानी और उमर है बढ़  जाती 
 इसी तरह जीने की ,आदत  पड़  जाती 
कभी कच्ची रहती,कभी दाल गलती 
जिन्दगी सारी ,बस ऐसे  ही चलती 

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

1 टिप्पणी:

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।

हलचल अन्य ब्लोगों से 1-