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सोमवार, 10 जून 2013

एक ही थैली के चट्टे बट्टे

           एक ही थैली के चट्टे  बट्टे 
        
खुद है गंदे ,और हमको   साफ़ करने आ गये 
देखो बगुले,भक्त बन कर,जाप करने आ गये 
कोर्ट में लंबित है जिनके ,गुनाहों का मामला ,
अब तो मुजरिम भी यहाँ,इन्साफ करने आ गये 
भले मंहगाई बढे और सारी जनता हो दुखी ,
भाड़ में सब जाये ,खुद का लाभ करने आ गये 
यूं ही सब बदहाल है ,टेक्सों के बढ़ते  बोझ से,
हमको फिर से नंगा ये चुपचाप करने  आ गये 
रोज बढ़ती कीमतों से,फट गया जो दूध  है,
उसके रसगुल्ले बना ये  साफ़ करने  आ गये 
एक ही थैली के चट्टे बट्टे,मतलब साधने ,
कौरवों से पांडव ,मिलाप करने  आ गये 
पाँव लटके कब्र में है,मगर सत्ता पर नज़र,
बरसों से  देखा ,वो पूरा ख्वाब करने आ गये 
बहुत हमको रुलाया,अब तो बकश दो तुम हमें,
सता करके फिर हमें ,क्यों पाप करने आ गये 
बहुत झेला हमने 'घोटू',वोट हमसे मांग कर ,
फिर से शर्मिन्दा हमें ,क्यों आप करने आ गये 

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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