रसीले रिश्ते
पत्नी
पत्नियाँ ,फ्रिज में रखी ,घर की मिठाई
जब भी जी चाहे ,गरम कर,जाए खायी
प्यार करती तो लगे मख्खन मलाई
सर्दियों से बचाती ,बन कर रजाई
साली
सालियाँ तो जलेबी ,गरमागरम है
स्वाद पाने,बनना पड़ता ,बेशरम है
टेडी मेडी ,रस भरी है, अटपटी है
मगर सुन्दर,शोख ,चंचल,चटपटी है
साला
पत्नी जी का भाई जो होता है साला
बड़ा तीखा ,तेज है इसमें मसाला
अनुभवी जो लोग है ,सब ये कहे है
इसे खुश रख्खो तो बीबी खुश रहे है
सास-ससुर
सास का अहसास होता बड़ा प्यारा
जिसे है दामाद ,बेटी से दुलारा
और ससुर के साथ सुर में सुर मिलाओ
पत्नी भी खुश,लुफ्त जीवन का उठाओ
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
आपकी सर्वोत्तम रचना को हमने गुरुवार, ६ जून, २०१३ की हलचल - अनमोल वचन पर लिंक कर स्थान दिया है | आप भी आमंत्रित हैं | पधारें और वीरवार की हलचल का आनंद उठायें | हमारी हलचल की गरिमा बढ़ाएं | आभार
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