कथनी और करनी
बड़े जोश से,ये कर देंगे,वो कर देंगे ,कहते थे
और हमेशा ,बड़े बड़े ,जो वादे करते रहते थे
हमने उन्हे चमन सौंपा था,उसकी रखवाली करने
लेकिन बेच,फूल और फल वो,अपनी जेब लगे भरने
हो जाता बर्बाद,सूखता,नूर चमन सब खोता है
खाने लगती बाड़ खेत को,तब एसा ही होता है
और उस पर ये सितम ,गर्व से,चीख चीख ये बतलाते
जो कुछ उनने किया उसे ,अपनी उपलब्धी बतलाते
हमको फिर सत्ता मे लाओ,सस्ता अन्न तुम्हें देंगे
पिछली बार खा लिया हमने,अब तुमको खाने देंगे
बहुत दुखी कर,भरमाया है,इनके गोरखधंधों ने
लूटा बहुत देश है मेरा,इन मतलब के अंधों ने
अब हम को जो भी करना है,हम कर के दिखला देंगे
जनता को धोखा देने का,फल तुमको सिखला देंगे
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।