घोटू के दोहे
स्थानम प्रधानम न बलं प्रधानम
1
धन और पोजीशन करे,देखो कैसे काम
कल तक 'परस्या'कहाता ,'परशराम 'अब नाम
स्थानम प्रधानम न बलं प्रधानम
2
काजल जो लागे कहीं,तो कालिख कहलाय
गौरी की आँखों अंजे,दूनो रूप बढ़ाय
स्थानम प्रधानम न बलं प्रधानम
3
बीस तीस की माखनी ,दाल मिले जो आम
पहुँची होटल मौर्या ,हुए आठ सौ दाम
स्थानम प्रधानम न बलं प्रधानम
4
गौरी की गोदी रहे ,श्वान लिपट इतराय
देख गली के कूतरे ,भौंक भौंक चिल्लाय
स्थानम प्रधानम न बलं प्रधानम
5
गूदे संग जब तक बंधा ,कहलाता है आम
गूदा खा फेंका गया ,अब गुठली है नाम
स्थानम प्रधानम न बलं प्रधानम
6
रोड़ा पत्थर राह का,हर कोई देय हटाय
मंदिर में सिन्दूर लग,निशदिन पूजा जाय
स्थानम प्रधानम न बलं प्रधानम
7
गति बदले हर चीज की,जगह बदल जब जाय
पहुँच प्लेट से पेट में ,क्या से क्या बन जाय़
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
1440
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*1-दूर –कहीं दूर/ शशि पाधा*
*अँधेरे में टटोलती हूँ*
*बाट जोहती आँखें*
*मुट्ठी में दबाए*
*शगुन के रुपये*
*सिर पर धरे हाथों का*
*कोमल अहसास*
*सुबह ...
3 घंटे पहले
बहुत ही सुन्दर एवं सार्थक दोहे,आभार.
जवाब देंहटाएंdhanywaad
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