सपने सपने -कब है अपने
सपने सपने
कब है अपने
ये अपने ही जाये होते
खुलती आँख,पराये होते
बचपन में ,राजा ,रानी के
किस्सों से ,दादी,नानी के
और वैभव के ,किशोर मन में
खो जाते ,जीवन उलझन में
कुछ सच होते,कुछ तडफाते
सपने तो है ,आते जाते
आये ,बिना बुलाये होते
खुलती आँख,पराये होते
जब यौवन की ऋतू मुस्काती
फूल विकसते,कोकिल गाती
कोई मन में बस जाता है
तो वो सपनो में आता है
फिर शादी और जिम्मेदारी
रोज रोज की मारामारी
हरदम मुश्किल,ढाये होते
खुलती आँख ,पराये होते
फिर जब होती है संताने
सपने फिर लगते है आने
बच्चे जो लिख पढ़ जायेंगे
काम बुढापे में आयेंगे
बेटा बेटी ,अपने जाये
शादी होते,हुये पराये
बस यादों के साये होते
खुलती आँख,पराये होते
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
Birth Certificate जन्म प्रमाण पत्र
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46 मिनट पहले
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