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शुक्रवार, 29 मार्च 2013

बाली

                 बाली

सुबह उठा ,बोली घरवाली ,क्या मुश्किल कर डाली
ढूंढो ढूंढो ,नहीं मिल रही  ,मेरे कान   की   बाली
हम बोले ,आ गया  बुढापा,उमर नहीं अब बाली
और  कान की बाली तक भी ,जाती नहीं संभाली
पत्नी  बोली मुझे डाटते ,ये है बात निराली 
शैतानी तो तुम करते हो, खोती मेरी  बाली
मै बोला सुग्रीव सरल मै ,महाबली तुम  बाली
मेरी आधी शक्ति तुम्हारे सन्मुख होती खाली
सुन नाराज हुई बीबीजी ,ना वो बोली  चाली
उसे मनाने ,चार दिवस को ,जाते है हम बाली
घोटू
( हम अगले सप्ताह के लिए बाली भ्रमण पर
 ले जा रहे है अपनी पत्नी को मनाने -अत :एक
सप्ताह की ब्लोगिंग की छुट्टी -----घोटू  )

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