सर ऊपर उठाना है
अगर आवाज को अपनी ,बुलंदी से सुनाना है
अगर सोये हुओ को जो,तुम्हे फिर से जगाना है
बिना गर्दन किये ऊंची,न मुर्गा बांग दे सकता ,
तुम्हे भी आगे बढ कर ,अपना सर ऊपर उठाना है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
नीलगगन सा जो असीम है
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नीलगगन सा जो असीम हैशब्दों से आहत होता मन शब्दों की सीमा कब जाने,शब्द जहाँ
तक जा सकते हैं मात्र वही स्वयं को जाने ! नीलगगन सा जो असीम है अंतर का आकाश
न देख...
7 घंटे पहले
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