घोटू के दोहे
1
नए नए हम सीरियल ,देखा करते नित्य
किसको फुर्सत है भला ,पढ़े नया सहित्य
2
ना तो मीठे बोल है,ना सुर है ना तान
चार दिनों तक गूंजते ,फिर खो जाते गान
3
वो गजलों का ज़माना,मन भावन संगीत
अब भी है मन में बसे ,वो प्यारे से गीत
4
साप्ताहिक था धर्मयुग ,या वो हिन्दुस्थान
गीत,लेख और कहानी,भर देते थे ज्ञान
5
कवि सम्मलेन रात भर,श्रोता सुनते मुग्ध
प्रहसन ,सस्ते लाफ्टर ,कर देते है क्षुब्ध
6
अंगरेजी का गार्डन ,फूल रहा है फ़ैल
एक बरस में एक दिन,बोते हिंदी बेल
7
छोटे छोटे दल बने,सब में है बिखराव
तो फिर कैसे आयेगा ,भारत में बदलाव
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
1440
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*1-दूर –कहीं दूर/ शशि पाधा*
*अँधेरे में टटोलती हूँ*
*बाट जोहती आँखें*
*मुट्ठी में दबाए*
*शगुन के रुपये*
*सिर पर धरे हाथों का*
*कोमल अहसास*
*सुबह ...
3 घंटे पहले
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