माँ की मेहरबानियाँ
दूध ,दही,खोया पनीर या 'चीज 'नाम कुछ भी दे दो,
लेकिन अपने मूल रूप में,सिर्फ घास का था तिनका
गौ माता ने मुझको अपना प्यार दिया और अपनाया ,
निज स्तन की धारा से ,निर्माण किया है इस तन का
मुझ से ज्यादा ,क्या जानेगा ,कोई महिमा माता की ,
मै क्या था,माँ की ममता ने,क्या से क्या है बना दिया
दिये पौष्टिक गुण इतने ,भरकर मिठास का मधुर स्वाद ,
मै तो था एक जर्रा केवल,मुझे आसमां बना दिया
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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*1-दूर –कहीं दूर/ शशि पाधा*
*अँधेरे में टटोलती हूँ*
*बाट जोहती आँखें*
*मुट्ठी में दबाए*
*शगुन के रुपये*
*सिर पर धरे हाथों का*
*कोमल अहसास*
*सुबह ...
3 घंटे पहले
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