मै क्या करूं
पत्नी की सुनता तो 'जोरू का गुलाम'हूँ,
माँ की सुनता,तुम कहती 'मम्मी के चमचे'
बच्चों को डाटूँ तो कहलाता हूँ 'जालिम',
करूं प्यार तो कहती मै 'बिगाड़ता बच्चे'
घर पर रहता तो कहते मै 'घर घुस्सू'हूँ,
बाहर रहूँ घूमता 'आवारा ' कहलाता
कम खाता तो कहती मै 'कमजोर हो रहा',
'मोटे होकर फूल रहे' यदि ज्यादा खाता
खर्चा करता तो कहती हो 'खर्चीला 'हूँ,
ना करता तो कहती हो 'कंजूस'बहुत मै
मेरी समझ नहीं आता ,क्या करूं ना करूं ,
कोई बताये क्या करना कन्फ्यूज बहुत मै
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
अंतहीन सजगता
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अंतहीन सजगता अपने में टिक रहना है योग योग में बने रहना समाधि सध जाये तो
मुक्ति मुक्ति ही ख़ुद से मिलना है हृदय कमल का खिलना है क्योंकि ख़ुद से
मिलकर उसे...
4 घंटे पहले
वाकई बहुत ज्यादा कन्फ्यूजन है
जवाब देंहटाएंआभार