मन- बसंत
मन बसंत था कल तक जो अब संत हो गया
अभिलाषा ,इच्छाओं का बस अंत हो गया
जब से मेरी ,प्राण प्रिया ने करी ,ठिठौली ,
राम करूं क्या ,बूढा मेरा कंत हो गया
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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*1-दूर –कहीं दूर/ शशि पाधा*
*अँधेरे में टटोलती हूँ*
*बाट जोहती आँखें*
*मुट्ठी में दबाए*
*शगुन के रुपये*
*सिर पर धरे हाथों का*
*कोमल अहसास*
*सुबह ...
12 घंटे पहले
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