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सोमवार, 18 फ़रवरी 2013

अपने अपने ढंग

       अपने अपने ढंग

जब भी ये आये है तो ,रोकी नहीं जाये  फिर ,
                करोगे नहीं तो देगी ,दम ये निकाल कर 
बैठे बैठे नारी करे,खड़े खड़े नर करे ,
                सड़क किनारे कभी ,तो कभी दीवार पर 
शिशु करे सोते सोते ,गोदी में या रोते रोते,
                 पंडित करे है कान  पे  जनेऊ  डाल   कर
कोई डर  जाये  करे,कोई पिट जाये  करे,
                  बूढ़े करे धीरे धीरे ,देर तक ,संभाल   कर 
टांग उठा ,करे कुत्ता,जगह को सूंघ सूंघ ,
                  बिजली का खम्बा कोई,पास देख भाल कर
करने  के सबके है ,अपने तरीके अलग,
                    बड़ा ही सुकून मिले  ,इसको निकाल कर

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'

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