खुशियों के चार पल ही सदा ढूँढता रहा
क्या ढूँढना था मुझको मैं क्या ढूँढता रहा
मायूसियों के शहर में मुझ सा गरीब शक्श
लेने को सांस थोड़ी हवा ढूँढता रहा
मालूम था के उसकी नहीं है कोई रज़ा
फिर भी मैं वहां उसकी रज़ा ढूँढता रहा
मालूम था के मुझे नहीं मिल सकेगा वोह
फिर भी मैं उसका सदा पता पूछता रहा
फिर यूँ हुआ के उस से मुलाक़ात हो गई
फिर उम्र भर मैं अपना पता पूछता रहा
खुशियों के चार पल ही सदा ढूँढता रहा...
achcha prayaas
जवाब देंहटाएंbahut khoob
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