आज अपने दिल को सज़ा दी मैंने
उस की हर बात भुला दी मैंने
एक एक पल दफ़ना दिया मैंने
गुलदस्ता यादों का जला दिया मैंने
बात जिस पर वो मुस्कुराती थी
वोह हर अलफ़ाज़ मिटा दिया मैंने
मेरी दुनिया तो खाख़ से आबाद हुई
दिल-इ-आतिश को ही बुझा दिया मैंने
आज यादों की मज़ार पर आई थी वोह
मुंह फेर के अपना भुला दिया मैंने
अब कोई रिश्ता नहीं है दरमियाँ अपने
अकेलेपन से भी एक रिशा बना लिया मैंने
आज अपने दिल को सज़ा दी मैंने
उस की हर बात भुला दी मैंने....
बहुत सुन्दर दामिनी गैंगरेप कांड :एक राजनीतिक साजिश ? आप भी जानें हमारे संविधान के अनुसार कैग [विनोद राय] मुख्य निर्वाचन आयुक्त [टी.एन.शेषन] नहीं हो सकते
जवाब देंहटाएंबड़ी कठोर सज़ा दी है आपने ,
जवाब देंहटाएंसुंदर भावाभिव्यक्ति..........
साभार!!!