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शुक्रवार, 1 फ़रवरी 2013

यह रात

एक अजीब सा एहसास दिलाती है यह रात
एक दिलासा देती है पास बुलाती 
लिपट के सोने को जी चाहता है इसके साथ
हालात हैं की दिन की रौशनी से मुझे डर लगता है
डर लगता है की यह हसीं ख्वाब टूट न जाएँ
डर लगता है की कोई मुझे इस तरह देख न ले
देख ना ले की मैं आज भी अकेले हूँ 
एक उसकी याद है बस वक़्त गुज़ारने के लिए
एक उम्मीद है बस दिल में इन यादों को सँवारने के लिए 
के कभी मिलेगी कहीं तो मिलेगी वोह मुझसे 
यकीन अपने से ज्यादा मुझे उस पर क्यों है
एक अजीब सा एहसास दिलाती है यह रात

2 टिप्‍पणियां:

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