पते की बात
तरक्की
कोई भी हो उपकरण ,मधुमख्खियों सा ,
फूलों से ला शहद दे सकता नहीं
कोई भी हो यंत्र कोरी घांस खाकर ,
गाय जैसा दूध दे सकता नहीं
भले कितनी ही तरक्की कर रहा ,
आजकल ये दिनबदिन विज्ञान है
मगर अब तक किसी मुर्दा जिस्म में ,
डाल वो पाया न फिर से जान है
घोटू
बस ! अब और नहीं
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बस ! अब और नहीं उलझ गई थी आज़ादी के वक्त समस्या वह सुलझाने वाली है एक
मुल्क जो झूठ की बुनियाद पर खड़ा हुआ चूलें उसकी हिलने वाली हैं छल से लिया
बलूचिस्तान...
19 घंटे पहले
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