पते की बात
तरक्की
कोई भी हो उपकरण ,मधुमख्खियों सा ,
फूलों से ला शहद दे सकता नहीं
कोई भी हो यंत्र कोरी घांस खाकर ,
गाय जैसा दूध दे सकता नहीं
भले कितनी ही तरक्की कर रहा ,
आजकल ये दिनबदिन विज्ञान है
मगर अब तक किसी मुर्दा जिस्म में ,
डाल वो पाया न फिर से जान है
घोटू
पतंजलि कैवल्य पाद सूत्र 15,16,17 का सार
-
पतंजलि कैवल्य पाद सूत्र : 15 , 16 ,17
महर्षि पतंजलि अपनें कैवल्य पाद सूत्र - 15 में कह रहे हैं ,
“ एक वस्तु चित्त भेद के कारण अलग - अलग दिखती है ” । अब ...
3 घंटे पहले
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।