पते की बात
नजरिया
आंधी से बचने की करते ,कोशिशें हैं ,कई ,सारे
खिड़की करता बंद कोई,खींचता कोई दीवारें
'विंडमिल 'लगवा कर कोई ,उससे ऊर्जा पाता है
इंसानों की सोच सोच में,अंतर ये दिखलाता है
घोटू
1454
-
*कवित्त*
*1-गुंजन अग्रवाल ‘अनहद’*
*1*
*श्याम रंग **चहूँ ओर**, **भीग गयो पोर**- पोर**,*
*अंग**- अंग राधिका के**, **दामिनी मचल उठी।*
*प्रेम की पिपास...
15 घंटे पहले
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।