दिवाली मन जाती है
जब भी आती है दिवाली ,हर बार
एक जगह ,एकत्रित हो जाता है,
हम सब भाइयों का पूरा परिवार
मनाने को खुशियों का त्योंहार
साथ साथ मिलकर के ,दिवाली मनाना
हंसी ख़ुशी ,चहल पहल,खाना,खिलाना
लक्ष्मी जी का पूजन,पटाखे चलाना
प्रेम भाव,मस्ती,वो हँसना ,हँसाना
भले ही चार दिन ,पर जब सब मिल जाते है
मेरी माँ के झुर्राए चेहरे पर ,
फूल खिल जाते है
सब को एक साथ देख कर ,
उनकी धुंधली सी आँखों में ,
खुशियों के दीपक जल जाते है
प्यार ,ममता और संतोष की,
ऐसी चमक आती है
कि दीपावली,अपने आप मन जाती है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
पतंजलि कैवल्य पाद सूत्र 15,16,17 का सार
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पतंजलि कैवल्य पाद सूत्र : 15 , 16 ,17
महर्षि पतंजलि अपनें कैवल्य पाद सूत्र - 15 में कह रहे हैं ,
“ एक वस्तु चित्त भेद के कारण अलग - अलग दिखती है ” । अब ...
6 घंटे पहले
शब्दों की जीवंत भावनाएं.सुन्दर चित्रांकन,पोस्ट दिल को छू गयी..कितने खुबसूरत जज्बात डाल दिए हैं आपने.बहुत खूब.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर भावनायें और शब्द भी.बेह्तरीन अभिव्यक्ति शुभकामनायें.
दीपावली की हार्दिकशुभकामनाये आपको और आपके समस्त पारिवारिक जनो को !
मंगलमय हो आपकोदीपो का त्यौहार
जीवन में आती रहेपल पल नयी बहार
ईश्वर से हम कर रहेहर पल यही पुकार
लक्ष्मी की कृपारहे भरा रहे घर द्वार..