जो मेरी तकदीर होगी
दाल रोटी खा रहे हम,रोज ही इस आस से,
सजी थाली में हमारी ,एक दिन तो खीर होगी
मर के जन्मा ,कई जन्मों,आस कर फरहाद ये,
कोई तो वो जनम होगा,जब कि उसकी हीर होगी
उनके दिल में जायेगी चुभ,प्यार का जज्बा जगा,
कभी तो नज़रें हमारी,वो नुकीला तीर होगी
इंतहां चाहत की मेरी,करेगी एसा असर,
जिधर भी वो नज़र डालेंगे,मेरी तस्वीर होगी
मेरे दिल के चप्पे चप्पे में हुकूमत आपकी,
मै,मेरा दिल,बदन मेरा, आपकी जागीर होगी
रोक ना पायेगा कोई,कितना ही कोशिश करे,
मुझ को वो सब,जायेगा मिल,जो मेरी तकदीर होगी
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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22 घंटे पहले
अभिलाषा की सशक्त अभिव्यति. सुन्दर
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