किसी को बचपन से ही
जब नहीं मिला हो
आसानी से सब कुछ,
जब करनी पडी हो
एक - एक चीज़ को
पाने के लिए मशक्कत....
आसानी से सब कुछ,
जब करनी पडी हो
एक - एक चीज़ को
पाने के लिए मशक्कत....
जब रखना पडा हो
एक - एक कदम
हमेशा फूंक - फूंक कर,
जब सोचना पडा हो
कई - कई बार किसी से
कुछ कहने से पहले,
जब जिन्दगी दिखाती रहो
एक पल को रोशनी
दूसरे पल गहरा अन्धकार....
जब चलना पड रहा हो
हमेशा ऊबड़ - खाबड़ रास्तों से,
और पता नहीं हो कि
अभी और कितना चलने के बाद
मिलेगी मनचाही मंजिल,
तो हो ही जाती है अक्सर
कुछ न कुछ सोचते रहने की आदत....
कई - कई बार किसी से
कुछ कहने से पहले,
जब जिन्दगी दिखाती रहो
एक पल को रोशनी
दूसरे पल गहरा अन्धकार....
जब चलना पड रहा हो
हमेशा ऊबड़ - खाबड़ रास्तों से,
और पता नहीं हो कि
अभी और कितना चलने के बाद
मिलेगी मनचाही मंजिल,
तो हो ही जाती है अक्सर
कुछ न कुछ सोचते रहने की आदत....
क्योंकि ये सोच - ये विचार
ये सपने - ये खयाली पुलाव ही तो हैं
देते रहते है अक्सर आगे बढ़ते रहने
सतत चलते रहने का हौसला,
जो अक्सर बहलाते रहते है दिल,
और दिल ?
दिल ही तो है जो किसी इंजन की तरह
खींचता रहता है ज़िंदगी की गाडी को,
इसलिए बहुत जरूरी है दिल का
तमाम विचारों - तमाम सपनों के
पेट्रोल से लबालब भरा रहना .....
- VISHAAL CHARCHCHIT
बहुत सही बात काही आपने अपनी रचना के माध्यम से |
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