और सुनाएं बाबू जी
दीवाली मना रहे हैं?!
सबकुछ नया - नया और
हाई टेक बना रहे हैं?!.....
देसी दीये पुराने लगते
चाइनीज झालर लाये हैं,
लक्ष्मी गणेश की मूर्ति भी
चाइना से ही मंगवाए हैं....
देश हमारा बड़ा हो रहा
पता आपसे चलता है,
क्योंकि हर साल दीवाली पर
बजट आपका बढ़ता है.....
पटाखे कई हजार के
इस बार भी लाये हैं न?!
पूरा मोहल्ला हिलाने का
इस बार भी कार्यक्रम बनाए हैं न ?!
अच्छा, एक राज की बात
क्या आप मुझे बताएँगे?
कितना सोना - कितना रुपया
इस बार लक्ष्मी जी को चढ़ाएंगे?
सच कहें तो आपको देख कर
बाबू जी हम खुश हो लेते हैं,
और आपकी दीवाली को ही हम
अपनी दीवाली समझ लेते हैं.....
वर्ना हम गरीब क्या जानें
कि दीवाली क्या होती है,
रोटी - दाल - दीये के अलावा
खुशहाली क्या होती है....
लक्ष्मी जी को प्रसन्न कर सकें
अपनी इतनी औकात कहाँ,
आपकी तरह सोना - रुपया
और महंगे प्रसाद कहाँ....
महंगाई ने हिला दिया है
रोम - रोम तक बाबू जी,
जाने कब तक और बचेंगे
हम गरीब अब बाबू जी....
- VISHAAL CHARCHCHIT
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