पते की बात
अचरज
नहीं खबर है अगले पल की
पर डूबे , चिंता में,कल की
भाग दौड़ कर ,कमा रहे है
यूं ही जीवन ,गमा रहे है
जब कि पता ना,कल क्या होगा
इससे बढ़,अचरज क्या होगा
घोटू
नयन स्वयं को देखते न
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नयन स्वयं को देखते न हम हमीं को ढूँढते हैं पूछते फिरते कहाँ हो ?हम हमीं को
ढूँढते हैं पूछता ‘मैं’ ‘तुम’ कहाँ हो ?खेल कैसा है रचाया अश्रु हर क्योंकर
बहाया, ...
1 दिन पहले
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