एक सन्देश-

यह ब्लॉग समर्पित है साहित्य की अनुपम विधा "पद्य" को |
पद्य रस की रचनाओ का इस ब्लॉग में स्वागत है | साथ ही इस ब्लॉग में दुसरे रचनाकारों के ब्लॉग से भी रचनाएँ उनकी अनुमति से लेकर यहाँ प्रकाशित की जाएँगी |

सदस्यता को इच्छुक मित्र यहाँ संपर्क करें या फिर इस ब्लॉग में प्रकाशित करवाने हेतु मेल करें:-
kavyasansaar@gmail.com
pradip_kumar110@yahoo.com

इस ब्लॉग से जुड़े

शनिवार, 20 अक्टूबर 2012

खरीददार

रद्दी बेच डाल
लोहा लक्कड़
बेच डाल
शीशी बोतल
बेच डाल
पुराना कपड़ा
निकाल
नये बर्तन में
बदल डाल
बैंक से उधार
निकाल
जो जरूरत नहीं
उसे ही
खरीद डाल
होना जरूरी है
जेब में माल
बाजार को घर
बुला डाल
माल नहीं है
परेशानी कोई
मत पाल
सब बिकाउ है
जमीर ही
बेच डाल
बस एक
मेरी परेशानी
का तोड़ निकाल
बैचेनी है बेचनी
कोई तो खरीददार
ढूँड निकाल।

4 टिप्‍पणियां:

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।

हलचल अन्य ब्लोगों से 1-