एक सन्देश-

यह ब्लॉग समर्पित है साहित्य की अनुपम विधा "पद्य" को |
पद्य रस की रचनाओ का इस ब्लॉग में स्वागत है | साथ ही इस ब्लॉग में दुसरे रचनाकारों के ब्लॉग से भी रचनाएँ उनकी अनुमति से लेकर यहाँ प्रकाशित की जाएँगी |

सदस्यता को इच्छुक मित्र यहाँ संपर्क करें या फिर इस ब्लॉग में प्रकाशित करवाने हेतु मेल करें:-
kavyasansaar@gmail.com
pradip_kumar110@yahoo.com

इस ब्लॉग से जुड़े

मंगलवार, 16 अक्टूबर 2012

दौरा

एक गड्ढा
जो बहुत
दिनो से

बहुत लोगो को
गिरा रहा था
आज शाम
पी डबल्यू डी
की फौज द्वारा
भरा जा रहा था
सारे अफसरों के
हाथ में झाडू़
तक दिखाई
दे रहे थे
होट मिक्स
हो रहे थे
रोलर तक
चलाये दे
रहे थे
पब्लिक की
समझ में
कुछ नहीं
आ रहा था
जिसको देखो
वो कुछ ना कुछ
अंदाज लगा
रहा था
अरे कल
उत्तराखंड

का बर्थडे है
एक बता
रहा था
डी ऎम की
कार तक
बेटाईम

खड़ी थी
माल रोड पर
किसी से पूछा
तो पता चला
वो भी शहर में
चक्कर लगा
रहा था
इतने में
"मोतिया"
हंसता हुवा
आ रहा था

बड़े जोर
जोर से

ठहाके लगा
रहा था

पूछा तो
बोलता
जा रहा था

पागल मत
हो जाओ

गड्ढा ही तो
भरा जा रहा है
सालों को
पता भी नहीं
कल मुख्यमंत्री
बाय रोड
आ रहा है ।

7 टिप्‍पणियां:

  1. रहा अभी तक सड़क पर, उड़े गगन पर मस्त ।

    हेमवती का पुत्र यह, अभी बहुत ही व्यस्त ।

    अभी बहुत ही व्यस्त, सीखती नृत्य उत्तरा ।

    शादी का कर ख्याल, विचारो आज पत्तरा ।

    वर्षगाँठ भी आज, गाल को चिकना कर लो ।

    गड्ढे ले भरवाय, केक का टुकडा धर लो ।

    जवाब देंहटाएं
  2. मन की बातों को कहने का निराला तरीका और तीखा कटाक्ष |

    जवाब देंहटाएं

  3. एक गड्ढा जो बहुत दिनों से ......दिनो ठीक कर लें ..............बढ़िया कटाक्ष है .

    जवाब देंहटाएं
  4. आपकी ज़ोरदार क़लम से निकले धारदार व्यंग्य बाण.... कमाल!!!

    जवाब देंहटाएं

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।

हलचल अन्य ब्लोगों से 1-