मरने पर ........
जीते जी तीर्थ न करवाये,
मरने पर संगम जाओगे
भर पेट खिलाया कभी नहीं,
पंडित को श्राद्ध खिलाओगे
बस एक काम ही एसा है,
जो तब भी किया और अब भी किया,
जीते जी बहुत जलाया था,
मरने पर भी तो जलाओगे
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
1458
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*दोहे*
*सुशीला शील*
*1.*
*धरती हमको पोसती**, कर नाना उपकार।*
*शीतल जल**, फल सँग हवा, सुंदरतम उपहार।।*
*2.*
*धरती को तू माँ समझ**, देख हुआ क्या हाल।...
8 घंटे पहले
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