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बुधवार, 17 अक्टूबर 2012

हे माँ दुर्गा



प्रथम दिवस माँ शैलपुत्री, कष्ट मेरी हर लेना,
मानव जीवन को मेरे, साकार यूंही कर देना |

द्वितीय दिवस हे ब्रह्मचारिणी, विद्या का फल मांगु,
जीवन हो उज्ज्वल सबका, उज्ज्वलता तुझसे चाहूँ |

तृतीय दिवस माँ चंद्रघंटा, मुझको बलशाली करना,
हर मुश्किल से लड़ पाऊँ माँ, शक्तिशाली करना |

चतुर्थ दिवस हे कुष्मांडा, जगत की रक्षा करना,
भक्तों का अपने हे माता, तू सुरक्षा करना |

पंचम दिवस स्कन्द-माता, जगत की माता तू,
मातृत्व तू बरसाना माता, सब कुछ की ज्ञाता तू |

षष्ठी दिवस माँ कात्यायिनी, दुष्टों की तू नाशक,
तू ही तो सर्वत्र व्याप्त माँ, तू ही सबकी शाशक |

सप्तम दिवस माँ कालरात्रि, पापी तुझसे भागे,
सेवक पे कृपा करना, जो ना पूजे वो अभागे |

अष्टम दिवस माँ महागौरी, श्वेतांबर धारिणी,
अंधकार को हरना माता, तू ही तो तारिणी |

नवम दिवस हे सिद्धिदात्री, कमलासन तू विराजे,
शंख, सुदर्शन, गदा, कमाल, माँ तुझसे ही तो साजे |

नौ रूपों में हे माँ दुर्गा, कृपा सदैव बरसाना,
पूजूँ तुझको, ध्याऊँ तुझको, सत्या मार्ग दिखलाना |

6 टिप्‍पणियां:

  1. माता के नौ रूपों का सुंदर काव्यमय चित्रण....
    स: परिवार नवरात्री की हार्दिक शुभकामनाएं स्वीकार कीजियेगा.

    जवाब देंहटाएं
  2. माँ के नौ दिन और नौओं रूपों की महिमा के साथ स्तुति ...वाह वाह

    जवाब देंहटाएं
  3. वन्दे वांछितलाभाय चन्दार्धकृतशेखराम।
    वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्री यशस्विनीम्।।
    बहुत ही अच्छा लिखा आपने .

    जवाब देंहटाएं

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