प्रथम दिवस माँ शैलपुत्री, कष्ट मेरी हर लेना,
मानव जीवन को मेरे, साकार यूंही कर देना |
द्वितीय दिवस हे ब्रह्मचारिणी, विद्या का फल मांगु,
जीवन हो उज्ज्वल सबका, उज्ज्वलता तुझसे चाहूँ |
तृतीय दिवस माँ चंद्रघंटा, मुझको बलशाली करना,
हर मुश्किल से लड़ पाऊँ माँ, शक्तिशाली करना |
चतुर्थ दिवस हे कुष्मांडा, जगत की रक्षा करना,
भक्तों का अपने हे माता, तू सुरक्षा करना |
पंचम दिवस स्कन्द-माता, जगत की माता तू,
मातृत्व तू बरसाना माता, सब कुछ की ज्ञाता तू |
षष्ठी दिवस माँ कात्यायिनी, दुष्टों की तू नाशक,
तू ही तो सर्वत्र व्याप्त माँ, तू ही सबकी शाशक |
सप्तम दिवस माँ कालरात्रि, पापी तुझसे भागे,
सेवक पे कृपा करना, जो ना पूजे वो अभागे |
अष्टम दिवस माँ महागौरी, श्वेतांबर धारिणी,
अंधकार को हरना माता, तू ही तो तारिणी |
नवम दिवस हे सिद्धिदात्री, कमलासन तू विराजे,
शंख, सुदर्शन, गदा, कमाल, माँ तुझसे ही तो साजे |
नौ रूपों में हे माँ दुर्गा, कृपा सदैव बरसाना,
पूजूँ तुझको, ध्याऊँ तुझको, सत्या मार्ग दिखलाना |
माता के नौ रूपों का सुंदर काव्यमय चित्रण....
जवाब देंहटाएंस: परिवार नवरात्री की हार्दिक शुभकामनाएं स्वीकार कीजियेगा.
माँ के नौ दिन और नौओं रूपों की महिमा के साथ स्तुति ...वाह वाह
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंवाह बहुत ही सुंदर !
जवाब देंहटाएंवन्दे वांछितलाभाय चन्दार्धकृतशेखराम।
जवाब देंहटाएंवृषारूढां शूलधरां शैलपुत्री यशस्विनीम्।।
बहुत ही अच्छा लिखा आपने .
बेहतरीन रचना !
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