एक सन्देश-

यह ब्लॉग समर्पित है साहित्य की अनुपम विधा "पद्य" को |
पद्य रस की रचनाओ का इस ब्लॉग में स्वागत है | साथ ही इस ब्लॉग में दुसरे रचनाकारों के ब्लॉग से भी रचनाएँ उनकी अनुमति से लेकर यहाँ प्रकाशित की जाएँगी |

सदस्यता को इच्छुक मित्र यहाँ संपर्क करें या फिर इस ब्लॉग में प्रकाशित करवाने हेतु मेल करें:-
kavyasansaar@gmail.com
pradip_kumar110@yahoo.com

इस ब्लॉग से जुड़े

गुरुवार, 11 अक्टूबर 2012

विचारणीय प्रश्न

विचारणीय  प्रश्न

कभी,कहीं,किसी पार्टी में,

या फिर और कहीं,
आप अपने किसी परिचित से मिलते है
और उनके मुख से,
अपने बारे में कमेन्ट सुनते है
"आज आप स्मार्ट लग रहे है या,
 आज आप बड़ी सुन्दर लग रही हो "
तो आप खुश होकर उन्हें धन्यवाद देते  है
पर क्या आपने कभी ये सोचा है
कि उनकी इस तारीफ़ में थोडा लोचा है
उनका ये कहना कि आज,
 आप लग रहे है सुन्दर या स्मार्ट
शायद बतलाता है ये बात
कि ये तारीफ़ है आज भर की
अन्य दिनों,आप उनको,सुन्दर,
या स्मार्ट नहीं लगते कभी
और उनका आज आपकी तारीफ़ करना,
कहीं आपको दुशाले में लपेट कर मारना तो नहीं है
और आप खुश हो या नाराज,
आपको विचारना यही है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।

हलचल अन्य ब्लोगों से 1-