सर्दियों का आगाज़
आ गया कुछ ऋतू में बदलाव सा है
सूर्य भी अब देर से उगने लगा है
है बड़ा कमजोर सा और पस्त भी है
इसलिए ये शीध्र होता अस्त भी है
फ़ैल जाता है सुबह से ही धुंधलका
हो रहा है धूप का सब तेज हल्का
रात लम्बी,रह गया है दिन सिकुड़ कर
बोझ वस्त्रों का गया है बढ़ बदन पर
नींद इतनी आँख में घुलने लगी है
आँख थोड़ी देर से खुलने लगी है
सपन इतने आँख में जुटने लगे है
आजकल हम देर से उठने लगे है
हो गया कुछ इस तरह का सिलसिला है
रजाई में दुबकना लगता भला है
चाय,कोफ़ी,या जलेबी गर्म खाना
आजकल लगता सभी को ये सुहाना
भूख भी लगने लगी,ज्यादा,उदर में
जी करे,बिस्तर में घुस कर,रहो घर में
पिय मिलन का चाव मन में जग रहा है
सर्दियां आ गयी,एसा लग रहा है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
पति-पत्नी की निजता व्यक्तिगत मामलों मे सीमित अधिकार -सुप्रीम कोर्ट
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सुप्रीम कोर्ट के हाल ही में दिए गए निर्णय के अनुसार अब पति-पत्नी के बीच हुई
निजी फोन कॉल की रिकॉर्डिंग को भी पारिवारिक अदालतों में सबूत के तौर पर पेश
कि...
18 घंटे पहले
बधाई इस मनोरंजन मन रंजन के लिए .
जवाब देंहटाएंआ गया कुछ ऋतु /रितु में बदलाव सा है .....
सपन इतने आँख में जुटने लगें हैं .........हैं .....
आजकल हम देर से उठने लगे हैं .........हैं ..........
रितु परिवर्तन की आहट पर बेहतरीन रचना .