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रविवार, 6 अक्टूबर 2013

प्यार से जब भी पुकारा आपने ---

      प्यार से जब भी पुकारा आपने ---

प्यार से जब भी  पुकारा आपने ,
                         हम चले आये सपन बन नींद में
प्यार हमने आपसे जी भर किया ,
                          आपके प्यारे सजन बन  नींद में
       पडी रहती किसी कोने में ह्रदय के ,
          हमारे मन की अधूरी कामनाएं
       रूपसी प्यारी परी का रूप धर कर ,
       सपन बन कर,नींद में वो मुस्कराएं
जब भी हो उन्मुक्त चाहा नाचना ,
                            हम चले आये  गगन बन नींद में
प्यार से जब भी पुकारा आपने ,
                             हम चले आये सपन बन नींद  में
          प्रीत बचपन की हमारी और तुम्हारी,
          कारणों से कुछ ,मिलन पर हो न पाया
          याद आई ,कुञ्ज गलियाँ ,कालिंदी तट ,
          चाँद जब पूनम शरद का मुस्कराया
लगी मन में रास की जब भी लगन तो,
                               हम चले आये किशन बन नींद में               
प्यार से जब भी पुकारा आपने ,
                                हम चले आये सपन बन ,नींद में

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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