उम्र है मेरी बहत्तर
उम्र है मेरी बहत्तर
है बड़े हालत बेहतर
उंगलिया पाँचों है घी में,
और कढ़ाई में मेरा सर
न तो चिंता काम की है
ना कमाई ,दाम की है
मौज है ,बेफ़िक्रियां है,
उम्र ये आराम की है
कोई भी बोझ न सर पर
उम्र है मेरी बहत्तर
बच्चे अपने घर बसे है
अब हैम दो प्राणी बचे है
मैं हूँ और बुढ़िया है मेरी ,
मस्तियाँ है और मज़े है
देखते है टी वी दिन भर
उम्र मेरी है बहत्तर
अच्छी खासी पेंशन है
नहीं कोई टेंशन है
हममें बस दीवानापन है,
करते जो भी कहता मन है
खाते बाहर ,देखें पिक्चर
उम्र मेरी है बहत्तर
जब तलक चलता है इंजिन
सीटियां बजती है हर दिन
खूब जी भर ,करे मस्ती ,
गाडी ये रुक जाये किस दिन
क्या पता ,कब और कहाँ पर
उम्र मेरी है बहत्तर
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
उम्र है मेरी बहत्तर
है बड़े हालत बेहतर
उंगलिया पाँचों है घी में,
और कढ़ाई में मेरा सर
न तो चिंता काम की है
ना कमाई ,दाम की है
मौज है ,बेफ़िक्रियां है,
उम्र ये आराम की है
कोई भी बोझ न सर पर
उम्र है मेरी बहत्तर
बच्चे अपने घर बसे है
अब हैम दो प्राणी बचे है
मैं हूँ और बुढ़िया है मेरी ,
मस्तियाँ है और मज़े है
देखते है टी वी दिन भर
उम्र मेरी है बहत्तर
अच्छी खासी पेंशन है
नहीं कोई टेंशन है
हममें बस दीवानापन है,
करते जो भी कहता मन है
खाते बाहर ,देखें पिक्चर
उम्र मेरी है बहत्तर
जब तलक चलता है इंजिन
सीटियां बजती है हर दिन
खूब जी भर ,करे मस्ती ,
गाडी ये रुक जाये किस दिन
क्या पता ,कब और कहाँ पर
उम्र मेरी है बहत्तर
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।