गुरु घंटाल
स्वयं को घोषित किया ,भगवान जिस इंसान ने ,
समर्पण के नाम पर ,व्यभिचार जो करता रहा
मोह माया छोड़ दो का ,बांटता जो ज्ञान था ,
लोभ का मारा ,तिजोरी ,स्वयं की भरता रहा
नन्ही नन्ही बच्चियों की ,लूटता था अस्मतें ,
भोले भाले भक्तजन को ,लूटने में दक्ष था
हिरणकश्यप की तरह ,कहता था वो भगवान है ,
पुत्र पर प्रहलाद जैसा नहीं,पर हिरण्याक्ष था
बाप और बेटे ने मिल कर ,बहुत से नाटक किये ,
कृष्ण बन कर ,गोपियों के संग रचाया रास था
एक पीड़ित बालिका ने ,रूप धर नरसिंह जैसा ,
बताया दुनिया को कितना दुष्ट वो बदमाश था
धीरे धीरे ,उसके सारे कच्चे चिठ्ठे , खुल गए ,
शेर की था खाल ओढ़े ,वो छुपा था भेड़िया
एक दिन फंस ही गया ,कानून के वो जाल में,
सैकड़ों ही बच्चियों का ,जिसने था शोषण किया
बनाया था गुरु, निकला वो गुरु घंटाल था ,
धीरे धीरे सभी लोगों को गया ये लग पता
इससे मेरे दोस्तों,मिलती हमें या सीख है,
धर्म अच्छा है मगर अच्छी नहीं धर्मान्धता
घोटू
स्वयं को घोषित किया ,भगवान जिस इंसान ने ,
समर्पण के नाम पर ,व्यभिचार जो करता रहा
मोह माया छोड़ दो का ,बांटता जो ज्ञान था ,
लोभ का मारा ,तिजोरी ,स्वयं की भरता रहा
नन्ही नन्ही बच्चियों की ,लूटता था अस्मतें ,
भोले भाले भक्तजन को ,लूटने में दक्ष था
हिरणकश्यप की तरह ,कहता था वो भगवान है ,
पुत्र पर प्रहलाद जैसा नहीं,पर हिरण्याक्ष था
बाप और बेटे ने मिल कर ,बहुत से नाटक किये ,
कृष्ण बन कर ,गोपियों के संग रचाया रास था
एक पीड़ित बालिका ने ,रूप धर नरसिंह जैसा ,
बताया दुनिया को कितना दुष्ट वो बदमाश था
धीरे धीरे ,उसके सारे कच्चे चिठ्ठे , खुल गए ,
शेर की था खाल ओढ़े ,वो छुपा था भेड़िया
एक दिन फंस ही गया ,कानून के वो जाल में,
सैकड़ों ही बच्चियों का ,जिसने था शोषण किया
बनाया था गुरु, निकला वो गुरु घंटाल था ,
धीरे धीरे सभी लोगों को गया ये लग पता
इससे मेरे दोस्तों,मिलती हमें या सीख है,
धर्म अच्छा है मगर अच्छी नहीं धर्मान्धता
घोटू
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।