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शुक्रवार, 4 अक्तूबर 2013

कसक

जिन्दगी तेरा गुजारा
तब बड़ा मुश्किल न था
तेरे राहो में किसी के
यादो का रहबर न था
जब तलक नशा उनकी
बातो का छाया न था
याद में उनके तडप कर
ये मजा आया न था
जिन्दगी तेरा गुजारा
तब बड़ा मुश्किल न था
तेरे रातो में किसी के
खाब का रहबर न था
प्यार सब करते खुदा से
दीदार पर मुमकिन नहीं
छोड़ दे जो शक करे वो
दिल मेरा काफिर न था
मेरे इश्क के अश्क उनके
आँख में टिकते अगर
दौड़ के मिलते गले वो
मै बुरा कातिल न था
जिंदगी तेरा गुजारा तब
बड़ा मुश्किल न था
तेरी राहो में किसी के
इश्क का रहबर न था ...............अमित
 

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