छोड़ राधा गाँव वाली -आठ पटरानी बनाली
प्रीत बचपन की भुलाके ,छोड़ राधा गाँव वाली
कृष्ण तुमने शहर जाकर ,आठ पटरानी बनाली
गाँव में थे गोप,गायें,गोपियाँ थी,सखा भी थे
माँ यशोदा ,नन्द बाबा ,प्यार सब करते तुम्ही से
दूध का भण्डार था और,दही था,माखन बहुत था
भोले गोकुल वासियों में,प्यार, अपनापन बहुत था
कभी तुम गैया चराते ,कभी तुम माखन चुराते
मुग्ध होती गोपियाँ सब,बांसुरी जब थे बजाते
और तुम नटखट बहुत थे ,कई हांडी फोड़ डाली
प्रीत बचपन की भुलाके ,छोड़ राधा गाँव वाली
शहर की रंगीनियों ने ,इस कदर तुमको लुभाया
भूल कर भी गाँव अपना ,पुराना वो याद आया
इस तरह से रम गए तुम,वहां के वातावरण में
नन्द बाबा ,यशोदा का ,ख्याल भी आया न मन में
छोड़ मथुरा ,द्वारका जा ,राज्य था अपना बसाया
सुदामा को याद रख्खा ,किन्तु राधा को भुलाया
मिली जब भी, जहां मौका ,नयी शादी रचा डाली
प्रीत बचपन की भुला के ,छोड़ राधा गाँव वाली
कृष्ण तुमने शहर जाकर ,आठ पटरानी ,बनाली
मदन मोहन बाहेती'घोटू;
प्रीत बचपन की भुलाके ,छोड़ राधा गाँव वाली
कृष्ण तुमने शहर जाकर ,आठ पटरानी बनाली
गाँव में थे गोप,गायें,गोपियाँ थी,सखा भी थे
माँ यशोदा ,नन्द बाबा ,प्यार सब करते तुम्ही से
दूध का भण्डार था और,दही था,माखन बहुत था
भोले गोकुल वासियों में,प्यार, अपनापन बहुत था
कभी तुम गैया चराते ,कभी तुम माखन चुराते
मुग्ध होती गोपियाँ सब,बांसुरी जब थे बजाते
और तुम नटखट बहुत थे ,कई हांडी फोड़ डाली
प्रीत बचपन की भुलाके ,छोड़ राधा गाँव वाली
शहर की रंगीनियों ने ,इस कदर तुमको लुभाया
भूल कर भी गाँव अपना ,पुराना वो याद आया
इस तरह से रम गए तुम,वहां के वातावरण में
नन्द बाबा ,यशोदा का ,ख्याल भी आया न मन में
छोड़ मथुरा ,द्वारका जा ,राज्य था अपना बसाया
सुदामा को याद रख्खा ,किन्तु राधा को भुलाया
मिली जब भी, जहां मौका ,नयी शादी रचा डाली
प्रीत बचपन की भुला के ,छोड़ राधा गाँव वाली
कृष्ण तुमने शहर जाकर ,आठ पटरानी ,बनाली
मदन मोहन बाहेती'घोटू;
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